मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान के लगभग प्रत्येक जिले में यूरिया खाद के इन्तज़ार में कतार में खड़े हज़ारों किसानों की लम्बी लम्बी लाइनें तथा उन लाइनों पर बेरहमी से बरस रहीं पुलिस की लाठियों की सैकड़ों खबरें सोशल मीडिया के इस दौर में छुप नहीं पा रही हैं। अखबारों में छपी ऐसी सैकड़ों खबरों की कतरने और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के वीडियो क्लिप जमकर वाइरल हो रहे हैं।
ध्यान रहे कि मप्र सरकार और भारत सरकार के दस्तावेज़ गवाही दे रहें हैं कि पिछले वर्ष 20 दिसम्बर तक मप्र को की गई 3.81 लाख मीट्रिक टन यूरिया की सप्लाई का आंकड़ा इस वर्ष बढ़कर 20 दिसम्बर तक 4.24 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच चुका है।
अतः केन्द्र द्वारा यूरिया नहीं दिए जाने का कांग्रेसी दावा थोथा सतही सफेद झूठ मात्र सिद्ध हुआ है। सबसे खास बात यह है कि जिन जिलों में खाद की कमी के कारण लम्बी लम्बी लाइनों में लगे हज़ारों किसानों पर कांग्रेस की सरकार पुलिस की लाठियां बरसवा रही है वही हज़ारों किसान कैमरों के सामने चीख चीख कर यह बता रहे हैं कि हर जिले में जितनी चाहिए उतनी यूरिया भरपूर मात्रा में उपलब्ध है लेकिन दुगुने तिगुने दामों पर।
अतः कांग्रेस सरकार को बताना चाहिए कि यूरिया की कालाबाज़ारी कर रहे इन व्यापारियों के पास यूरिया कहां से आ रही है.? तथा पिछले साल की तुलना में इस साल अब तक जो 43 हज़ार मीट्रिक टन ज्यादा यूरिया आयी है वो कहां गयी.?
हालांकि कांग्रेसी झूठ बेईमानी का पर्दाफाश इस बात से भी हो जाता है कि आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, बंगाल, उड़ीसा और पंजाब में कट्टर भाजपा विरोधी सरकारें लम्बे समय से शासन कर रहीं हैं लेकिन पिछले पांच वर्षों में आज तक और आज भी इन प्रदेशों में ना कभी यूरिया की कमी हुई ना बीजों की। फिर राजस्थान मप्र छत्तीसगढ़ में केंद्र खाद क्यों नहीं भेजेगा.?
अतः जिस तरह मप्र राजस्थान छत्तीसगढ़ में कांग्रेस द्वारा सत्ता सम्भालने के केवल सप्ताह भर के भीतर ही कालाबाज़ारियों के माध्यम से यूरिया के बहाने गरीब किसानों से हो हज़ारों करोड़ की बेरहम लूट का जो बेशर्म दौर शुरू हुआ है वह दहलाने वाला है। कांग्रेसी शासन का यह मंजर चीख चीखकर सन्देश दे रहा है कि यदि कांग्रेस को अगर येन केन प्रकारेण देश की सरकार में दखल का मौका मिला तो आम आदमी और सरकारी खजाने को कितनी बेरहमी और बेशर्मी से लूटा खसोटा जाएगा।
(सतीश चन्द्र मिश्रा)
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