
अगर आप ऐसा करते हैं कभी, तो ये हादसा आपकी आँखें खोलने के लिए काफी है शायद..
दुखांत नहीं है यह सत्य कथा इसलिए ही लिखने की हिम्मत जुटाई है.
जैसा मैंने ऊपर कहा, ये सच्ची कहानी है और इंदौर की है. इंदौर में एक लापरवाह माता-पिता से जुड़ा हुआ ये वो हादसा है जो होते होते रह गया.
ये माता पिता घर से निकले तो थे अपनी बिटिया को लेकर जो कि मात्र ढाई वर्ष की है. इनको मिलना था डॉक्टर से. किन्तु जब ये डॉक्टर के क्लीनिक के बाहर पहुंचे तो इन्होने देखा कि बिटिया तो सो चुकी है. तब इनकी अतिरिक्त समझदारी ने इन्हें सुझाया कि सोती बच्ची को डिस्टर्ब न किया जाए. इसे यहीं गाड़ी में छोड़ कर डॉक्टर से मिल आते हैं. इसमें हर्ज़ क्या है, तब तक सोती रहेगी. गाड़ी के अंदर है तो सुरक्षित भी है. चिंता की कोई बात ही नहीं.
यहीं भूल कर गए ये माता-पिता. गाड़ी में है तो सुरक्षित नहीं है – न स्वस्थ्य की दृष्टि से न चोर उचक्कों और बच्चे चुराने वाले गिरोह के लोगों को नज़र में रखते हुए. हैरानी है कि किसी माता-पिता को ये बात कैसे समझ नहीं आती जबकि बच्चा-चोरी की खबरें आम हैं और बंद गाड़ी में बच्चों के जान जाने की घटनाएं भी सबकी जानकारी में हैं.
इसके बाद ये माता-पिता अपनी सोती हुई ढाई साल की बिटिया को कार में ही बाय बाय करके चले गए. हाँ जाते जाते वे कार को लॉक करना नहीं भूले. कुछ देर बाद बच्ची को भूख लगी और वो जाग गई. माता-पिता को लापता पा कर बच्ची ज़ोर ज़ोर से रोने लगी. शायद उसे भी अपने मम्मी पापा से ऐसी उम्मीद नहीं थी.
यह घटना स्थल इन्दौर का रेसकोर्स रोड है जहाँ पर जंजीरावाला चौराहे के पास विद्यापति बिल्डिंग की पार्किंग में इस प्यारी सी बच्ची को उसके माता-पिता अपनी मारुती कार में लॉक्ड छोड़ गये थे. आस-पास से गुजर रहे लोगों ने जब बच्ची के रोने की आवाज़ सुनी तो वे लोग भी हैरान रह गए यह देख कर कि रोने की आवाज़ कार के अंदर से आ रही है और बिलखती बच्ची कार में अकेली है. लोग भी परेशान हो गए और तुरंत बच्ची के माता-पिता को आसपास खोजने की कोशिश की गई. पर कोई फायदा न हुआ.
तब लोगों ने खुद ही बच्ची को बाहर निकालने का जिम्मा ले लिया और कार का दरवाज़ा खोलने की कोशिश की. कुछ समझदारों ने कार का दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश भी की. पर उसमें भी कामयाब न हो सके. फिर एक जानकार किस्म का समझदार स्केल ले कर वहां पहुंचा और उसने कुछ ही मिनटों में स्केल की मदद से दरवाज़ा खोलने में कामयाबी पाई.
बच्ची को ज्यों ही कार से निकाला गया तब तक उसके माता-पिता आ गए. बच्ची करीब पौन घंटे तक कार में बंद रही. बच्ची के माता-पिता को लोगों ने बुरा-भला कहा और ताकीद भी की कि आइन्दा ऐसी गलती मत कीजियेगा..बच्ची का कार में दम भी घुट सकता है और बच्ची को कोई आसानी से चुरा कर भी ले जा सकता है.
अब ये माता-पिता ऐसी भूल कभी नहीं करेंगे..और इंदौर की इस सच्ची कहानी को पढ़ कर कई माता-पिता भविष्य में इस दिशा में सोचेंगे भी नहीं..मुझे विश्वास है!
(अर्चना शैरी)