
जी नहीं, राजनीतिक पार्टियों से इसका कोई लेना देना नहीं..यहां देश को ठगने वालों की नहीं बल्कि देश के फिल्मप्रेमियों को ठगने वालों की बात हो रही है..
फ़िल्मी दुनिया में ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान पानी मांग गई है. राजनीति की दुनिया के ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान 2019 चुनाव के बाद पानी मांगेंगे.
अमिताभ बच्चन और अमीर खान जैसे सुपर स्टार के होते हुए भी दीवाली पर देश भर में रिलीज़ हुई ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान हिट नहीं हो सकी है और कायदे से देखा जाए तो बुरी तरह फ्लॉप रही है. ग्यारह दिन का इस फिल्म का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन सिर्फ 145 करोड़ रुपये ही हो सका है.
दर्शक नाउम्मीद हुए, इस बात से किसी को कोई लेना-देना नहीं है. देश भर में जितने दर्शकों ने यह बेवकूफाना किस्म की फिल्म देखी, उनके वक्त की बर्बादी की बात कोई नहीं कर रहा. बात हो रही है ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान के फ्लॉप होने से देश भर के थिएटर मालिकों को पहुंचे भारी नुकसान की.
इस फिल्म को सुपर फ्लॉप इसलिए भी माना जाएगा क्योंकि इसका बजट 300 करोड़ रुपए का था जबकि इसकी कमाई सिर्फ 145 करोड़ रुपये ही हो सकी है. मतलब ये कि फिल्म अपना खर्चा भी नहीं निकाल पाई है. फिल्म की ख़राब हालत से एक्जीबिटर्स यानी थिएटर मालिक दुखी हैं क्योंकि नुकसान उनको ही उठाना पड़ा है.
थिएटर मालिकों ने आपस में विचार करके अपने नुकसान को लेकर यशराज स्टूडियो से बात करने का विचार किया है. उनको लगता है कि उनकी और इस फिल्म की एक ही जैसी हालत हो गई है. और इस कारण उनके लटके चेहरों से फिल्म के लटक जाने की स्थिति यशराज स्टूडियो को आसानी से समझ आ जायेगी. मतलब ये कि थिएटर मालिक यशराज वालों से गुहार लगाने जाने वाले हैं कि हमें इस फिल्म जो भारी नुकसान झेलना पड़ा है, उसका हर्जाना हमें दिया जाए.
सच तो ये है कि यशराज फिल्म्स को ठग्स ऑफ़ हिन्दुस्तान के सुपर हिट होने का पूरा विश्वास था. इस अतिरिक्त आत्मविश्वास में आकर उन्होंने फिल्म के डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेदारी खुद संभाल ली थी. उन्होंने एक्ज़्हीबीटर्स से मिनिमम गारंटी डील कर ली थी क्योंकि वे तो मान कर ही बैठे हुए थे कि फिल्म सौ करोड़ नहीं, हज़ार करोड़ कमा लेगी.
लेकिन जो हुआ वो उसका उलटा हुआ. अब नुकसान सारा एक्ज़हिबीटर्स के सर आ गया है. वे यशराज फिल्म्स (डिस्ट्रीब्यूटर) से अपना रिफंड मांगने की बात सोच रहे हैं. वे उम्मीद कर रहे हैं कि यशराज फिल्म्स, आमिर खान और अमिताभ बच्चन उनकी हालत समझेंगे. किन्तु यदि ऐसा नहीं हुआ तो फिर देश के कई थिएटर बंद होने को मजबूर हो जाएंगे.
वहीं यशराज फिल्म्स ने चालाक-समझदारी का परिचय दिया है और सीधे ही फिल्म के निर्देशक विजय कृष्णा आचार्य के सिर पर फिल्म के फ्लॉप होने का ठीकरा फोड़ दिया है.
अगर इस मामले में ट्रेड एनालिस्टों की मानें तो यशराज फिल्म्स एक्ज़्हिबिटर्स को पैसे रिफंड करने के लिए वैधानिक तौर पर बाध्य नहीं है. इसकी उम्मीद बहुत कम है कि नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए वे ऐसा करने को राजी हो जाएंगे. लेकिन सवाल ये भी है कि यदि इस तरह एक्ज़हिबीटर्स को दीवालिया बनाने की समझदारी यशराज कैम्प ने दिखाई, तो आइंदा एक्सहिबीटर्स इन ‘बड़े बोल बोलने वालों’ पर भरोसा नहीं करेंगे और अगली बार प्रोडक्शन हाउस दीवालिया होंगे, थिएटर मालिक नहीं!!
(पारिजात त्रिपाठी)