हर दिन हम सभी टीवी और अखबार के माध्यम से आत्महत्या की खबरें पढते रहते हैं | जिनमें अधिकतर मामले विद्यार्थियों के होते हैं। लेकिन कई बार वृद्ध लोगो के भी आत्महत्या करने के मामले सामने आते हैं।
आज का जो परिवेश है उसमें तेज रफ्तार जीवन मे, छोटे परिवार (necular family), अधिक व्यवस्त जीवन शैली,सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताना, जिसके कारण अकेलापन एक बड़ी समस्या बनकर सामने आया है। हर उम्र के लोगो की अपनी अपनी समस्याएं और कारण हैं आत्म हत्या करने के।
प्रायः बहुत सामान्य से कारण देखे जाते हैं आत्महत्या के। सामान्य का अर्थ हैं कि ये बहुत आम कारण हैं जो आत्महत्या के लिये प्रेरित करते हैं. इनमें से प्रमुख कारण हैं – आत्महत्या की प्रवृत्ति, आत्महत्या का पारीवारिक इतिहास, पारिवारिक हिंसा, मानसिक प्रताड़ना, शारीरिक प्रताड़ना, यौन प्रताड़ना (बलात्कार), लंबी शीरीरिक बीमारी, लगातार असफल होना, असफलता से होने वाली बदनामी का भय, अवसाद (Depression), अकेलापन, खुद को अनुपयोगी / गैर जरूरी समझना, आवेश में आकर आत्महत्या करना, इत्यादि.
इनके लक्षण भी समझ लीजिये ताकि आप पहले से सावधान हो जायें कि आपके साथ क्या हो सकता है या आपके सामने क्या हो सकता है. न आप कोई गलत कदम उठाइये न ही किसी को उठाने दीजिये। अपना पूरा प्रयास कीजिये कि किसी ऐसे व्यक्ति को आप समझा कर राह पर ला सकें जो जीवन का सबसे गलत कदम उठाने की गलती करने जा रहा हो.
लक्षणों पर दीजिये ध्यान
आइये नज़र डालते हैं आत्महत्या के लक्षणों पर. यदि आपको कोई असफलता के भय में डूबा नजर आये या गहरी चिंता में रहता दिखे या किसी काम में मन नहीं लगे अथवा सदा निराशावादी बातें करता दिखाई दे या फिर भूख लगनी कम हो जाये या फिर हमेशा खुद को और अपनी किस्मत को कोसता कोई आपको नजर आये तो आप समझ सकते हैं कि ये ही वे लक्षण हैं जो खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं
कुछ और भी लक्षण हैं जो आपको सचेत करने के लिये पर्याप्त हो सकते हैं। यदि आप किसी को मरने के तरीकों के बारे में बात करते देखें या ऐसे तरीके ढूंढते कोई नजर आये तो आप स्वयं भी सावधान हो जायें और उस व्यक्ति को भी सावधान करने का प्रयास करें. पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि आत्महत्या करने वाले बहुत से नौजवान लडके- लडकियों ने , गूगल पर मरने के तरीकों की साइट्स खोजी हैं |
इसके अतिरिक्त यदि कोई आपके सामने बार-बार मर जाने या आत्महत्या कर लेने की बात बोल रहा हो तो आप समझ जायें कि ये लक्षण क्या कहते हैं। प्रायः पाया ये गया है कि जो लोग अधिक निराशा, अकेलेपन, अवसाद, असफलता के भय में जीते हैं , वो ती से छः महीने पहले से मर जाने की बातें करने लगते हैं|
मूल समाधान के लिये प्रयत्न करने होंगे। जो व्यक्ति निराशावादी और आत्महत्या के लिये प्रेरित दिख रहा हो, उससे आप कोई अपेक्षा नहीं कर सकते। आपको और ऐसे व्यक्ति के करीबी लोगों को ही स्थिति पर नियंत्रण हेतु प्रयत्न करने होंगे। आप अपने करीबी मित्र या रिश्तेदार जिसमें भी ऊपर बताये लक्शण दिखाई दें , उन्हें नज़र अंदाज ना करें और गंभीरता से लें | ज्याादातर मामलों में व्यक्ति अपने परिवार के सामने कम और मित्रों के सामने मर जाने की अभिव्यक्ति करता है | मित्रों को चाहिये कि वो परिवार वालों को इस बात की जानकारी दें ताकी परिवार उचित सहायता कर सके उस व्यक्ति की।