फिलीस्तीन को सुसंगत सिद्धांत के बाद ब्रिटेन से पुराने युद्ध पर प्रतिबंध की मांग

On: October 7, 2025 7:57 PM
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ब्रिटेन में अंतर्राष्ट्रीय दबाव, इतिहास से जुड़े सवालों का सामना

ब्रिटेन द्वारा हाल ही में फिलीस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में वर्णित करने के बाद, अब उस अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने औपनिवेशिक काल के युद्ध को लेकर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ रहा है।

मानवाधिकारों, इतिहासकारों और फिलीस्तीन के कम्युनिस्टों ने ब्रिटिश सरकार से मांग की है कि वह औपनिवेशिक शासन के दौरान मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशिया में विशेष रूप से लोकतांत्रिक गणराज्यों को एकजुट करें।

औपनिवेशिक अतीत और युद्ध

ब्रिटेन का एक औपनिवेशिक इतिहास चल रहा है, जिसमें कई देशों पर शासन द्वारा हिंसा, दमन और अत्याचार की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

विशेष रूप से, फ़िलिस्तीन में ब्रिटिश शासन (1917-1948) के दौरान कई ऐसी घटनाएँ सामने आईं, जिनमें आज युद्ध और राजनीतिक दमन शामिल हैं।

इनमें शामिल हैं:

  • विरोध करने वालों पर हिंसात्मक कार्रवाई
  • भूमि अधिग्रहण और अधिग्रहण
  • ताज़ा स्टील को कुचलना
  • नस्लीय और सांस्कृतिक भेदभाव

🇵🇸 फ़िलिस्तीन की व्याख्या और उसके ताले

ब्रिटेन द्वारा फिलीस्तीन को एक ऐतिहासिक क़दम माना जाता है।
हालाँकि, यह कदम देर से उठाया गया माना जा रहा है, क्योंकि दशकों से फिलीस्तीन से स्वतंत्र राष्ट्र के लिए संघर्ष जारी है।

इस सिद्धांत ने एक नई बहस को जन्म दिया है:
क्या सिद्धांत काफी है? या ब्रिटेन को आपके अतीत के जूल्मों का खाता भी देना होगा?

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

  • मानवाधिकारों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि “अब समय आ गया है कि ब्रिटेन केवल अतीत को स्वीकार न करे, बल्कि धार्मिक जांच और आर्थिक पुनर्स्थापना (क्षतिपूर्ति) जैसे कदम भी उठाए।”

  • फिलीस्तीन के कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि “यदि ब्रिटेन वास्तव में फ़िलिस्तीन की स्वतंत्रता में विश्वास रखता है, तो उसे अपने अतीत के ज़ुल्मों को मानना ​​​​और उनके लिए माफ़ी माँगनी होगी।”

  • कई अंतरराष्ट्रीय विद्वानों और वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि ब्रिटेन को अपने अतीत से सीख लेनी चाहिए और विश्वसनीयता से प्रयोगशाला स्वीकार करनी चाहिए।

ब्रिटेन का यह कदम, फिलीस्तीन को सहमत होना, अवश्य स्वागतयोग्य है। लेकिन ये सवाल भी ज़रूरी है –
क्या अतीत के ज़ख्म सिर्फ एक राजनीतिक घोषणा से भर सकते हैं?

जब तक विद्रोह पर सच्चाई सामने नहीं आई, और जब तक विद्रोह पर सच्चाई सामने नहीं आई, और जब तक विद्रोह पर सच्चाई सामने नहीं आई, तब तक ब्रिटेन के इतिहास पर उसका वर्तमान प्रभाव बना रहेगा।

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