गुरु के प्रति असीम श्रद्धा, शिष्य का भावुक प्रस्ताव — ‘किडनी देकर सेवा करना चाहता हूँ’

On: October 8, 2025 7:35 PM
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वृंदावन के प्रसिद्ध संत श्री प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज आज भक्ति जगत में एक प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। कानपुर के निकट सरसौल गांव में 30 मार्च 1969 को जन्मे महाराज जी का बचपन से ही ईश्वर भक्ति की ओर गहरा झुकाव था। मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने गृहत्याग कर संन्यास का मार्ग अपनाया और श्री हित गौरांग शरण जी महाराज से दीक्षा प्राप्त की। महाराज जी का जीवन पूर्णतः ब्रह्मचर्य और त्याग पर आधारित है। वे राधा-कृष्ण भक्ति को जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य मानते हैं और अपने प्रवचनों के माध्यम से सरल भाषा में गीता, भागवत और भक्ति के गूढ़ सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाते हैं। वृंदावन स्थित श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट से जुड़कर वे सेवा और सत्संग का कार्य करते हैं। वर्तमान में स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों के बावजूद वे नित्य भक्ति और प्रवचन में रत रहते हैं। उनके सत्संगों में देश-विदेश से असंख्य भक्त और कई प्रसिद्ध हस्तियाँ भी सम्मिलित होती हैं।

आस्था और भक्ति की मिसाल पेश करते हुए शरणानंद महाराज के एक शिष्य ने हाल ही में प्रेमानंद महाराज को अपनी किडनी दान करने की इच्छा जताई है। यह भावुक प्रसंग उस समय सामने आया जब शिष्य ने महाराज से मुलाकात के दौरान कहा कि यदि उनकी किडनी से गुरुजी का जीवन सुरक्षित रह सकता है, तो वे इसे सबसे बड़ा सौभाग्य मानेंगे।
इस मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे देखकर हजारों भक्त भावुक हो उठे। लोग इस घटना को गुरु-शिष्य संबंध की सबसे सुंदर मिसाल बता रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रेमानंद महाराज ने अपने शिष्य से कहा कि “सेवा का भाव ही सबसे बड़ी भक्ति है; शरीर नहीं टिकता, समर्पण टिकता है।” हालांकि, उन्होंने फिलहाल किसी भी तरह का दान लेने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें ईश्वर की इच्छा पर विश्वास है।

प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य अपडेट

लोग कह रहे हैं कि प्रेमानंद महाराज पिछले कुछ समय से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से बीमार हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, अब उन्हें हर दिन डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। ऐसा हर पांच दिन में होता था, लेकिन अब जब वे बेहतर जगह पर हैं तो ऐसा अक्सर होता है।
हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो ने भक्तों को महाराज के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित कर दिया है. प्रेमानंद महाराज ने उस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है और वे धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं।

शिष्य की भक्ति ने छू लिया भक्तों का दिल

शरणानंद महाराज के इस शिष्य की विरासत की चर्चा पूरे देश में है। कई साधकों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इस युग में भी गुरु के प्रति ऐसी निष्ठा और त्याग दुर्लभ हैं। यह घटना केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि सच्ची सेवा सिर्फ वाणी से नहीं, बल्कि कर्म से होती है।

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