Donald Trump, denied Nobel Peace Prize, says, “I deserved more!”|नोबेल शांति पुरस्कार से वंचित डोनाल्ड ट्रंप, बोले – मैं इससे ज़्यादा डिज़र्व करता था!

On: October 10, 2025 11:21 PM
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donald trump

अक्टूबर 2025 में जब नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2025) का ऐलान हुआ था , तबसे दुनिया को यही लगा की — डोनाल्ड ट्रम्प ही वो शख्स ह जिसे ये पुरस्कार घोसित किया जाएगा । ट्रम्प ने खुद कई मौकों पर दावा किया था कि उन्होंने विभिन्न संघर्षों को शान्तिपूर्वक सुलझाने में भूमिका निभाई है। लेकिन इस बार पुरस्कार वेनुअज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना माचाडो (Maria Corina Machado) को मिला।

आखिर क्यों ट्रम्प को नहीं मिला नोबेल शांति पुरस्कार?

1.लॉन्ग-टर्म पीसवर्क पर ज़्यादा ध्यान
नोबेल कमेटी अक्सर ऐसे व्यक्तियों को पर देती है जिनका योगदान लंबी अवधि के लिए चलता आरहा है और लोकतंत्र, मानवाधिकार, शांति प्रक्रियाओं में स्थायी रहा हो । मारिया कोरिना माचाडो को वेनुअज़ुएला में लोकतंत्र की रक्षा के लिए पुरस्कार मिला है क्योंकि उनके संघर्ष में निरंतरता और जोखिम शामिल था।

2.समय सीमा (नॉमिनेशन डेडलाइन) और पब्लिक कैंपेन का प्रभाव
ट्रम्प की टीम ने दावा करते हुए कहा है कि उनकी नोबेल के लिए नामांकन देर से हुआ था या कम प्रभावी रहा। कमेटी ने साफ किया है कि नामांकन या मीडिया प्रचार पुरस्कार का मुख्य आधार नहीं होता है ।

3.”परंपरा” और मार्गदर्शक नीतियाँ
नोबेल पुरस्कार की ज़रूरत केवल युद्ध को खत्म करना ही नहीं है, बल्कि वैश्विक शांति, मानवाधिकारों की रक्षा और लोकतंत्र को बढ़ावा देना है। ट्रम्प के “America First” जैसे नीति रुख और विवादित बयानों ने कुछ पर्यवेक्षकों को आशंका जताने पर मजबूर किया कि उनका दृष्टिकोण शांति पुरस्कार की मूल भावना से कितना मेल खाता है।

4.चीज़ों का सार्वजनिक और राजनीतिक विमर्श
सोशल मीडिया और समाचार जगत में ट्रम्प के “नोबेल शांति पुरस्कार चाहिए” की दावा-अपील को लेकर मज़ाक, प्रतिरोध और आलोचना हुई है। Memes, प्रतिक्रियाएँ, और ट्रम्प समर्थकों की नाराज़गी ने इस विषय को और जोर से उजागर किया।

ट्रम्प की प्रतिक्रिया और लोगों की राय:


->ट्रम्प का कहना है कि उन्होंने “आठ युद्ध खत्म किए” और गाज़ा में चल रहे संघर्ष को शांत करने की कोशिश की थी। उनका मानना है कि नोबेल कमेटी कोई न कोई वजह ढूंढ लेगी कि उन्हें शांति पुरस्कार न दिया जाए।

->समाज में इस पर लोगों की राय बंटी हुई है — कुछ लोग सोचते हैं कि ट्रम्प ने वाकई शांति के लिए काम किया और उन्हें नोबेल मिलना चाहिए था, जबकि दूसरे लोगों का कहना है कि उनके दावे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए हैं।

->नोबेल कमेटी ने कहा है कि उसका फैसला अल्फ्रेड नोबेल की इच्छानुसार लिया जाता है, यानी पुरस्कार उन्हीं को दिया जाता है जिनका योगदान शांति, मानवता और लोकतंत्र के लिए लंबे समय तक असरदार रहा हो — सिर्फ प्रचार या दावों के आधार पर नहीं।

आगे क्या हो सकता है:


ट्रम्प के समर्थकों को लगता है कि इस फैसले के बाद उनकी आलोचना और बढ़ेगी, और शायद ट्रम्प नॉर्वे या नोबेल कमेटी पर राजनीतिक हमला करें। लेकिन ज़्यादातर जानकारों का मानना है कि औपचारिक तनाव की संभावना कम है, क्योंकि नोबेल प्रक्रिया पूरी तरह स्वतंत्र और संवैधानिक मानी जाती है।भविष्य में ट्रम्प के लिए फिर मौका हो सकता है — अगर वे शांति के लिए लगातार और ठोस काम करें, और दुनिया को यह भरोसा दिला सकें कि उनके कदम सिर्फ बयान नहीं, बल्कि असली नतीजे लेकर आते हैं

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