दैदीप्यमान सफर में
ईश्वर है सबका रखवाला
जीवन की डगर में,
बस तुम्हीं से है उजाला!
अरे, ओ कृष्णा !
जब से हमने तुमको बिसारा
ना मंज़िल, ना रहगुज़र
ना मिल रहा किनारा!
एक दौड़ का हिस्सा हम हो गये,
न रहा होश हम मोहमाया में खो गये!
ना आगे की सुध, ना पीछे की चिंता,
हर क्षण ये मोही मन चिंताओं में घिरता!
इतिहास दोहराते, खुद को मिटाते,
सफलता की नित नई परिभाषा गढ़ जाते!
हवाई किलों का ये हिस्सा बनते जाते,
अंत में स्वयं ही प्रकाशित हो जाते!