जब से अफगानिस्तान में Taliban का शासन शुरू हुआ है, आए दिन वहां हैरान करने वाली बातें सुनने को मिल रही हैं – चाहे वो स्त्री-शिक्षा का मसला हो, परदा-प्रथा हो या मुद्दा देश में जबरन हुकूमत करने का हो. इसी में एक और जल्लादी कड़ी जुड़ गई है कि अब तालिबानी हुकूमत अफगानिस्तान में अपने क्रूर शासकीय रवैये को बदस्तूर जारी रखेगी लोगों के हाथ-पैर काटकर, गर्दन काट कर.
तानाशाही शासन
तालिबान के संस्थापकों में से एक मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने यह बात एक विदेशी मीडिया से साक्षात्कार के दौरान कही है. तुराबी ने बताया कि गलती करने वालों को पुराने तरीके से ही सजा दी जाएगी जिसमें महिलाओं को पत्थर से मार-मार कर मार देना (जिसे संगसार कहा जाता है) और चोरी करने पर हाथ काट देना जैसी दकियानूसी सजाएँ शामिल होंगी.
इतना ही नही आगे यह भी कहा कि गलती करने वालों की हत्या करने और अंग-भंग किए जाने का दौर अब हम लौटायेंगे और यह सब ऐसे बताया जा रहा था जैसे किसी नई आने वाली हिंसात्मक फिल्म का प्रोमो हो. बस रियायत इतनी ही होगी कि यह सब अब पहले की भाँति सार्वजनिक नहीं होगा.
इस्लाम और कुरान की दुहाई
क्या ये इक्कीसवीं सदी की सोच है? क्या ऐसे लोग आज के दौर में फिट होते हैं? मानवाधिकार की हत्या इन जैसे तानाशाहों के लिये शौक है जो इस्लाम और शरिया कानून की दुहाई दे कर यह सब कह रहे हैं और देश में कानून के नाम पर ऐसा करने जा रहे हैं. मुल्ला तुराबी की बात सुनकर तो ऐसा ही लगता है. क्या ऐसे विचार रखने वाले शासक देश को वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त होनी चाहिए? इस प्रश्न का उत्तर सभी जानते हैं.
अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत के साथ-साथ चलेगा कसाई कानून और तुराबी का कहना है कि दुनिया हमारे नियम- कानून की आलोचना करती है परन्तु हम लोगों ने किसी देश के कानूनों और हमारी सजा के बारे में कभी विवादित बयान नही दिया तो अब अफगानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत पर किसी से भी हमको विशेष टिप्पणी नहीं चाहिए कि हमारा कानून कैसा होना चाहिए. हम लोग इस्लाम के अनुयायी हैं और कुरान के हिसाब से अपने कानून बनायेगें.
इकलौता समर्थक कटोरा खान
अफगानिस्तान में कुछ इस प्रकार के कानून बनाये जायेगें कि सज़ा सुनकर दिल दहल जाए. आपको बता दें कि पहले तालिबानी हुकुमत द्वारा फाँसी किसी स्टेडियम में या सड़कों पर देकर लाश को चौराहे पर लटका दिया जाता था परन्तु अब ये सब सार्वजनिक नहीं होगा. कैदियों को ऐसी सज़ाएँ तो मिलेंगी पर जेल में. तालिबान के मंत्री बने मुल्ला नूरूद्दीन तुराबी के विचारों का समर्थक आतंकवाद का पालनहार पाकिस्तान के अतिरिक्त वही देश हो सकता है जो कट्टरपन्थी हो.
आज दुनिया जानती है कि दो दशकों के बाद अफगानिस्तान में लौटे तालिबानी शासन से लोग किस कदर सहमे हुए हैं और वे अपने देश से निकल जाना चाहते हैं परन्तु हाल ये है कि बाहर आने का उनको कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा.