Shivpal Singh Yadav ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने की क्यों की मांग?
समाजवादी परिवार के चाचा शिवपाल सिंह यादव…क्या राजनीति की नई पारी बीजेपी के साथ शुरू कर सकते हैं? आखिर बीजेपी और शिवपाल सिंह यादव के बीच बढ़ती नज़दीकियों की क्या वजह है? क्या शिवपाल सिंह यादव यूपी चुनाव के बाद एक बार फिर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं? ये सारे सवाल इसलिए क्योंकि अब शिवपाल सिंह यादव खुलकर बीजेपी सामने आ गए हैं. ऐसा लगता है कि समाजवादी पार्टी की हार ने उन्हें राजनीति का नया रास्ता दे दिया है. शिवपाल यादव ने अब भगवा पार्टी के मुद्दों को उठाने का फैसला कर लिया है. उन्होंने समान नागरिक संहिता लागू कराने के लिए आंदोलन करने की बात कह कर इस बात का साफ संकेत दे दिया है.
अंबडेकर जयंती के मौके पर आयोजित एक सेमिनार में उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करने के बाबा साहेब अंबेडकर और राम मनोहर लोहिया के सपनों को पूरा करने के लिए वो जल्द ही पीएम मोदी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी और शांता कुमार से मुलाकात करेंगे. शिवपाल सिंह यादव के मुंह से समान नागरिक संहिता की मांग समाजवादी पार्टी के वर्तमान और इतिहास को देखते हुए हजम नहीं होती है.
लेकिन शिवपाल सिंह यादव ने इसके लिए बाकायदा राम मनोहर लोहिया का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि 1967 में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की मांग उठी थी. उन्होंने ये भी कहा कि उस वक्त बीजेपी नहीं होती थी. भारतीय जनता पार्टी ने शिवपाल यादव के समान नागिरक संहिता की पैरवी को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को घरेना शुरू कर दिया है. बीजेपी ने कहा है कि तकनीकी रूप से शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के विधायक हैं. इसलिए, अखिलेश यादव को सामने आकर बोलना चाहिए कि वे लोहिया जी के विचारों से सहमत हैं या नहीं?
सवाल ये उठ रहा है कि क्या शिवपाल सिंह यादव बीजेपी में जा रहे हैं. दरअसल ऐसा नहीं है तो फिर उन्होंने अपनी पार्टी की राज्य कार्यसमितियों, राष्ट्रीय और राज्य कार्य प्रकोष्ठों को भंग क्यों कर दिया? हालांकि, शिवपाल ने पिछले दिनों कहा था कि वह ‘उचित समय’ जल्द आने वाला है, जिसका सबको इंतजार है.
इसी बीच शिवपाल यादव की नाराजगी की खबरों के बीच समाजवादी पार्टी के नेता अखिलश यादव ने पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की. बैठक के बाद मुलायम सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अखिलेश का साथ देने और उनका हाथ मजबूत करने को कहा. बहरहाल, साफ है कि शिवपाल अब समाजवादी साइकिल से उतर कर पैदल ही अलग राह पर चल निकले हैं. दिलचस्प डेवलपमेंट ये भी है कि इससे पहले शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की थी.
यूपी चुनाव में लगातार दूसरी हार से मुलायम सिंह यादव के कुनबे की एकता भी तार-तार हो गई है. शिवपाल सिंह यादव ने इटावा के ताखा ब्लाक में एक गांव में चल रही भागवत में कहा था कि जब व्यक्ति अपने और पराये की पहचान भूल जाता है तब घर में महाभारत होती है.धर्म और राजनीति दोनों में यह नीति लागू होती है. शिवपाल के इस बयान से उनके मर्म को समझा जा सकता है. वहीं जब अखिलेश यादव से शिवपाल के बीजेपी में जाने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बस इतना कहा कि वो बीजेपी को परिवारवाद खत्म करने के लिए बधाई देते हैं.
बहरहाल, एक तरफ शिवपाल सिंह यादव तो दूसरी तरफ अब आज़म खान की वजह से भी अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ रही है. आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान ने सपा मुखिया अखिलेश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सांसद आज़म खान को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग की जा रही है. जबकि इससे पहले शिवपाल यादव को भी नेता प्रतिपक्ष बनाने का ऐलान कर अखिलेश मुकर भी चुके हैं. ऐसे में समान नागरिक संहिता की मांग उठा कर शिवपाल सिंह यादव एक तीर से कई निशाने साध रहे है. एक तीर से समाजवादी पार्टी का मुस्लिम वोट बैंक भी प्रभावित होगा.
बहरहाल, शिवपाल यादव की पार्टी के प्रवक्ता दीपक मिश्रा का कहना है कि खुद वाजपेयी जी ने कहा था कि जब देश में कॉमन क्रिमिनल कोड हो सकता है तो फिर कॉमन सिविल कोड क्यों नहीं? साफ है कि शिवपाल सिंह यादव अब यूनिफॉर्म सिविल कोड को अपनी नई राजनीति का हथियार बनाएंगे.