हिन्दू नववर्ष कब से प्रारम्भ होने वाला है और इसकी तिथि क्या है तथा यह किस तरह से हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण है -यह हम सभी को जानना चाहिए. हमारी हिन्दू संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है जिसका ज्ञान विज्ञान विश्व में सबसे अधिक विस्तृत और गहनतम है. उदाहरण के तौर पर नासा (NASA) ने अब जा कर बताया है कि मार्स का रंग लाल है जबकि हमारे तो गाँव के लोग सदियों से जानते हैं कि मंगल का रंग लाल है. इसी विकसित वैज्ञानिक विरासत वाला राष्ट्र है भारतवर्ष जिसका नव वर्ष 1 जनवरी को नहीं बल्कि चैत्र मास में प्रारम्भ होता है.
13 अप्रेल को है हिन्दू नव वर्ष
अंग्रेजी कैलेंडर में यह वर्ष 2021 चल रहा है जो एक जनवरी से प्रारम्भ हुआ है. किन्तु भारतीयों का अपना कैलेण्डर है विक्रमी संवत जिसका नव संवत्सर अर्थात नव वर्ष दो दिनों के बाद प्रारम्भ होने वाला है. 13 अप्रेल को प्रारम्भ होने वाले हिन्दुओं के नव संवत्सर का यह वर्ष 2078 है. अर्थात कैलेण्डर में भी पूरब का देश भारत पश्चिमी देशों से आगे चलता है.
भारत का हिन्दू पंचांग है बहुत आगे
भारतीय संस्कृति में काल गणना के लिए हिन्दू पंचांग का उपयोग किया जाता है जिसकी गणना दुनिया में कहीं भी बैठा कोई भी व्यक्ति हिन्दू पंचांग के माध्यम से कर सकता है जो कि बिलकुल सटीक होता है. भले ही आज हम लोग दुनिया के साथ ताल मिला कर चलते हैं और 1 जनवरी को नववर्ष मनाते हैं किन्तु अपने सभी संस्कारों और त्योहारों के उत्सवों में हम हिन्दू पंचांग का ही उपयोग करते हैं अर्थात तिथि और मुहूर्त हेतु हिन्दू पंचांग को ही प्राथमिकता दी जाती है.
चैत्र है प्रथम हिन्दू मास
देखा जाए तो अंगेजी कैलेंडर ने हिन्दुओं की काल गणना का ही अनुसरण किया है. आदि काल से चली आ रही हिन्दू सनातन सभ्यता में भी बारह मास हैं जिसे पाश्चात्य कैलेंडर ने भी अंग्रेजी नामों के साथ ले लिया है. हिन्दुओं के बारह महीनों का नाम भी आज की हिन्दू पीढ़ी को ढंग से ज्ञात नहीं हैं. अतएव उन्हें बताने का कर्तव्य भारत की मीडिया का होना चाहिए जिससे उनको ज्ञात हो सके कि हिन्दू वर्ष का प्रथम मास चैत्र है जिससे नवसंवत्सर का श्री गणेश होता है.
ये हैं बारह महीने
भारतीय कैलेंडर में भी बारह महीनों का एक वर्ष होता है. ये बारह महीने इस प्रकार हैं – चैत्र (चेत), बैसाख, जेठ, असाढ़, श्रावण, भादो, कुंवार, कार्तिक, अगहन, पूस, माघ, फागुन. हिन्दू पंचांग (कैलेंडर) के प्रथम मास अर्थात चैत्र मास के पहले दिन से उत्तरी भारत, मध्य भारत में चैत्र के पहले दिन से चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ होती है.