आधुनिकता की दौड़ में भाग रहे लोगों का रहन-सहन आज कल पूर्णत: आधुनिक हो चुका है। उनका अधिकतम खानपान पोषणहित तथा अप्राकृतिक हो गया है। फ़ास्टफूड, जंक फूड , स्ट्रीट फूड पर अधिकांश लोगों का आम भोजन बनता जा रहा है और इस स्थिति ने आज देश के लोगों को गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं तथा मोटापे के द्वार पर लाकर खड़ा कर दिया हैं।
चिकित्सा विज्ञान के नियम बताते हैं कि अधिकांश रोगों को मूल कारण खाने-पीने , रहन-सहन और सोच-विचर की गलत आदतें है. इस हालत में अंकुरित आहर खाने-पीने के गलत आदतों का एक सही विकल्प हो सकता है।
अंकुरित आहार जीवन का आधारभूत भोजन स्रोत तथा भारतीयों के लिये हज़ारों वर्षों से पोषण का एक बड़ा स्त्रोत बना हुआ है।
स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिये व शरीर का शुद्धीकरण करने के लिये अंकुरित आहार सर्वोत्तम है जो शरीर को रोग प्रतिरोधी क्षमता से परिपूर्ण बनाता है।
अंकुरित आहार रो प्रारम्भ में अल्पमात्रा में लेना चाहिए तथा अच्छी तरह चबा कर खाना चाहिए। स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें खीरे , टमाटर , हरी मिर्च , काला नमक , धनिया की पत्ती तथा निंबू आदि को मिलाया जा सकता हैे। यदि एक रोगी व्यक्ति इसका सेवन करता है तो वह अपने रोग से मुक्त होता है और अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति इसका सेवन करता है तो वह स्वास्थ्य – संवर्धन करने के साथ ही साथ उसे अनेक रोगों से सुरक्षित भी करता है।
आज के दौर में विशेषकर महिलाएं अपने सुडौल फिगर को लेकर काफी चिन्तित रहती हैं और आज की आधुनिक जीवन शैली उनको ऐसा नहीं करने देती है। पर यदि महिलायें अंकुरित आहार लेना शुरू करें तो उनका शरीर फिट एण्ड फ़ाइन बना रह सकता है,
अधिकतर महिलाए डायटिंग के नाम पर सुबह नाश्ता करना छोड देती हैं। ये काम बिल्कुल ही अस्वास्थ्यकर है, इससे शरीर को बहुत हानि पहुंचती है । शरीर की फिटनेस तथा उसकी लंबी उमप पर इसका बुरा असर पड़ता है । नाश्ते में अंकुरित आहार ताजे कच्चे फल बादाम आदि लाभदायी हैं. इसका उल्लेख सुश्रुतसंहिता में भी आया है- “ प्राणिनां पुनर्मूलंमाहारो बलवणोजसां च ! सु.सू. 1/36 “
उपरोक्त संस्कृत संदेश का अर्थ है कि प्राणियों में जीवन रक्षा का मूल कारण अहार ही है तथा शरीर के बल , वर्ण और की रक्षा या वृद्धि में भी आहार ही कारण होता है ।