केरल में वामपंथियों और कांग्रेस की कानूनी अमली जामा पहनाई हुई चालाकी का शातिर खेल चल रहा है- इसलिए ही राज्यपाल को हटाने की शक्तियां चाहिए.
केरल की वामपंथी सरकार आजकल एक मांग पर जोर दे रही है कि राज्य सरकार को राज्यपाल की नियुक्ति और उसे हटाने की शक्तियां मिलनी चाहिये.
उधर ममता बनर्जी की TMC ने तो कोलकत्ता हाई कोर्ट में राज्यपाल जगदीप धनकड़ को हटाने के लिए याचिका भी दायर कर दी थी जिसे कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.
और ये लोग पिछले 7 साल से मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि संवैधानिक संस्थाओं को बर्बाद किया जा रहा है –क्या ये लोग खुद राज्यपाल को संवैधानिक पद नहीं मानते?
दरअसल केरल में वर्षों से एक चालाकी का धूर्त खेल और भी चल रहा है जिसे विधान सभा से पास कराया गया था –इसमें हर मंत्री और स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और विपक्ष के नेता को निजी स्टाफ में 27 लोग को नियुक्त करने की पावर है और वो व्यक्ति 2 वर्ष की नौकरी करने के बाद पेंशन लेने का अधिकारी हो जाता हैं.
राज्य के 11वे पे कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर कम से कम 3500 रूपए पेंशन मिलती है ऐसे लोगों को और इसके लिए 1994 में विधानसभा से बिल पास कराया गया था.
राज्यपाल ने कहा है कि लोगों का 2 साल के बाद त्यागपत्र ले कर नए लोग भर्ती कर लिए जाते हैं जिससे पेंशन सबको मिलती रहे -जबकि राज्य सरकार के कर्मचारी 56 वर्ष की आयु में रिटायर हो कर ही पेंशन पाते हैं.
इस तरह देखा जाये तो ये एक योजनाबद्ध चतुराई का धंधा दिखाई देता है – कांग्रेस भी इसमें शामिल रही है और इसलिए दोनों पार्टियां राज्यपाल के खिलाफ खड़ी हो गई हैं.
इस चंट चालाकी का मतलब साफ़ है कि दोनों दलों की सरकारें अपनी ही पार्टी के लोगों को नौकरी पर रखती हैं और इससे हर व्यक्ति देश का अपने लिये यही मांग करेगा और ये भी कहेगा कि हो सकता जो पेंशन दी जाती है उसका एक हिस्सा पार्टी फंड में भी जाता हो – आप किसका मुह बंद कर पायेंगे.
वामपंथी सरकार तो कोरोना मौतों के बारे में भी अक्टूबर,2021 से चालाकी की चालें चल रही है –हर रोज मौतों में पिछली मौतें जोड़ कर बताई जा रही हैं –कल भी देश की 235 मौतों में 125 केरल की पिछली मौतें थीं जो पहले गिनती में नहीं ली गई थीं
ये केवल ज्यादा से ज्यादा लोगों को मुआवजा देने के लिए किया जा रहा लगता है और साधारण मौतों को कोरोना की मौत बताया जा रहा है –वामपंथी सरकार से कुछ भी उम्मीद की जा सकती है.
राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने भी जोर दे कर कहा है कि वो कोई गलत काम नहीं होने देंगे और उनकी जवाबदेही राष्ट्रपति को है, राज्य सरकार उन्हें डराने की कोशिश न करे.
राज्यों में आरिफ मुहम्मद खान और जगदीप धनकड़ जैसे दबंग राज्यपाल होने जरूरी हैं.
केरल की वामपंथी सरकार ने तो संसद के पास किये CAA के कानून को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है जबकि संसद के कानून को लागू करना राज्य सरकार का दायित्व है.