कांग्रेस, सपा और विपक्ष – अहमदाबाद की सजा-ए- मौतों पर सन्नाटे में क्यों हैं ?
कुछ कालक्रम और विशेष बातें देखिये – सोचिये बटला हाउस पर सोनिया क्यों रोई थी ?
अहमदाबाद के 26 जुलाई, 2008 को हुए सीरियल धमाकों के लिए (जिसमे 56 लोग मारे गए और 200 घायल हुए) अदालत ने 38 आरोपियों को फांसी और 11 को उम्रकैद की सजा दी है.
कुल 78 आरोपी थे जिनमे से 28 को बरी कर दिया गया जो साबित करता है कि अदालत में ट्रायल फेयर हुआ है.
इन बम धमाकों में जिन 38 को फांसी की सजा हुई है उनमे 7 राज्यों के आतंकी शामिल हैं और 5 लोग तो आजमगढ़ के हैं.
7 राज्यों के आतंकियों का धमाकों को अंजाम देना बताता है कि बड़ी भयंकर साजिश थी और आतंक के निशाने पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह थे, जैसा अदालत ने पाया है.
अब कुछ कालक्रम और विशेष बातें देखते हैं —
1. इन धमाकों में ही नहीं अन्य कई जगह आतंकी हमले करने में सिमी की भूमिका रही है मगर मुलायम सिंह यादव ने 14 जुलाई, 2006 को कहा था –सिमी वाराणसी, अयोध्या और मुंबई धमाकों में शामिल नहीं है और शिवपाल यादव ने कहा कि सिमी आतंकी संगठन नहीं है.
2. सोनिया गाँधी ने 2007 में नरेंद्र मोदी को “मौत का सौदागर” कहा और 2008 में मोदी को अहमदाबाद में उड़ाने की योजना बनाई जाती है, जो नाकाम रही.
3. दिल्ली से 12 आतंकी अहमदाबाद जाते हैं जिनमे 2 अभी फरार है और 8 को फांसी की सजा हुई, और बाकी 2 बटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए थे जो 19 सितम्बर, 2008 को हुआ, अहमदाबाद धमाकों के 2 माह बाद –इसलिए सोनिया गाँधी रोई थी.
4. मुंबई में 35 साल रहने के बाद शबाना आज़मी ने 17 अगस्त 2008 को हल्ला मचाया कि मुस्लिम होने की वजह से उसे कोई घर नहीं बेच रहा –मकसद शोर मचाने का था और उस तरह आतंक का अडडा बने आजमगढ़ को पीड़ित साबित करना क्यूंकि अहमदाबाद और बटला हाउस में आजमगढ़ के लोग फंसे थे;
5.कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी करार दिया था और उसमे शामिल लोगों के परिवारों को मिलने वो आजमगढ़ गये थे -दिग्विजय सिंह ने कहा था कि मैं यू पी कांग्रेस की आवाज़ “पीड़ित” परिवारों तक पहुंचाने गया था.
6. एक फोटो सोशल मीडिया पर चल रहा है जिसमे अखिलेश यादव फांसी की सजा पाए एक आतंकी के पिता के साथ गलबहियां कर रहे हैं
7. जमीयत उलेमा ए हिन्द के मौलानाअरशद मदनी ने अदालत के फैसले पर सवाल खड़े किये हैं और आतंकी फ़ौज के लिए हाई कोर्ट जाने की बात की है.
8. मालुम हो, उस मदनी के साथ हामिद अंसारी, केजरीवाल, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी और जयंत चौधरी ईद मिलन कार्यक्रम में मौजूद थे.
अब समझ आ गया होगा कांग्रेस, सपा और सारे विपक्ष में अदालत के फैसले पर सन्नाटा क्यों छाया है.