आज मीडिया की रौशनी जिस मुख्तार अंसारी को चमका रही है, कभी उसका नाम चमका करता था उत्तरप्रदेश में और सच तो ये है कि चाहे नाम मुख्तार अंसारी हो, वो उत्तरप्रदेश का गब्बर सिंह हुआ करता था..
कौन था ये यूपी का गब्बर सिंह?
यूपी का ये गब्बर सिंह है मुख्तार अंसारी जो आज की तारीख में एक कैदी है जिसे पंजाब से यूपी लाया जा रहा है और बांदा जेल अपने इस ख़ास कैदी का इंतज़ार कर रहा है. इस कैदी पर तमाम मुकदमें चल रहे हैं और तमाम हत्याओं और दंगों के मामले में शामिल होने का आरोप इस कैदी के सर पर हैं. जेल में कैदी का तमगा हासिल करने से पहले ये व्यक्ति पूर्वांचल के नामी माफिया के रूप में जाना जाता था. लेकिन आज इसकी खूंखार माफिया डॉन की हैसियत एक कैदी से अधिक नहीं रह गई है जिसका श्रेय जाता है यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को.
योगीराज बनाम माफिया राज
यूपी में वास्तविक तौर पर स्वच्छ प्रशासन देने का अभियान चलाया है सीएम योगी ने. जब से उत्तरप्रदेश में योगी बनाम माफिया शुरू हुआ है तब से प्रदेश के छोटे निकम्मे उठाईगीरों से लेकर बड़े नामवर गुंडों की हालत पतली हो गई है. कुछ साल पहले तो ये हालत थी कि माफ़ी मांग मांग कर एक से बढ़ कर एक गुंडा तत्व थानों में आकर आत्मसमर्पण करने लगे थे. लेकिन माफिया राज के खिलाफ पैदा हुई यूपी की इस सनसनी के दौर में बड़े वाले गुन्डे जिनको अंग्रेज गैंग्स्टर कहते हैं और चमचे डॉन – वे सभी यूपी छोड़ कर जहां सींग समाये वहां की तरफ भाग निकले. और इस डर का कहर तारी हुआ मुख्तार अन्सारी पर भी और उसे लगने लगा कि अब उसका खेल खत्म होने वाला है. मुख्तार का ये डर सही था. अब उसका खेल खत्म हो चुका है.
गब्बर सिंह के कहर से सिर्फ गब्बर बचा सकता था
यही हालत एक वक्त पर मुख्तार अन्सारी की हुआ करती थी. इस गुन्डा सरदार का खौफ था उत्तरप्रदेश में और बेहतर हो कि कहा जाये कि इस शख्स की तूती बोलती थी पूरे प्रदेश में. ऊपर से लेकर नीचे तक इसकी पहुंच थी, अधिकारी से लेकर पदाधारी उसके खरीदे हुए थे और बड़े बड़े राजनीतिक गदाधारी उसकी पीछे की जेब में पड़े रहते थे. ऐसे में शोले के गब्बर की बात बिलकुल सही लागू होती थी उस पर कि मुख्तार के कहर से सिर्फ एक आदमी ही बचा सकता है- खुद मुख्तार!
गब्बर और मुख्तार में एक बड़ा फर्क था
गब्बर अनपढ़ था और मुख़्तार अनपढ़ नहीं था. गब्बर जंगल में रह कर डकैती डालता था मुख्तार शहर में रह कर कर वारदातें करता था. गब्बार बेचारा चुनाव जीतने की छोड़ो, लड़ने की भी नहीं सोच सकता था लेकिन मुख्तार चुनाव लड़ता भी था और जीतता भी था. पांच बार मऊ से चुनाव जीतने का करतिमान उसके नाम चस्पा है किन्तु ऐसा माफिया विधायक लोकतंत्र की भीनी चदरिया पर बड़ा काला दाग है.
अब ये है गिरफ्तार अन्सारी
मुख्तार अंसारी नामका ये उत्तर-परदेशी गब्बर अहमद अंसारी का पोता है, जो कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रारंभिक अध्यक्ष रहे हैं. अपने दादा जी की तरह ही दादागिरी का शौक मुख्तार अंसारी को शुरू से ही रहा. फिर अपने दादा जी की ही तरह उसे नेतागिरी का शौक भी चर्राया और वो बसपा सहित दो तीन पार्टियों में आया गया. फिलहाल मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश के मऊ जनपद से सांसद है लेकिन अब उसे जेल में बंद कैदी ही कहा जा सकता है. कमाल की बात ये है कि मऊ से मुख्तार चार बार चुनाव जीत कर जीत का एक कीर्तिमान अपने नाम कर चुका है. उत्तरप्रदेश के कई बड़े गैंगबाजों से इसकी दुश्मनी है और कई मामलों में ये व्यक्ति मोस्टवान्टेड भी रहा है. किन्तु पिछले सोलह साल से जेल के भीतर ही रह कर ये माफिया खलनायक अपनी खातिरदारी करवा रहा है.