यह तस्वीर देखकर दी न्यूजरूम का एक डायलॉग याद आ गया “अमेरिका इज नॉट दि ग्रेटेस्ट कंट्री एनीमोर”
राष्ट्रपति बनने से पूर्व डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि 2020 तक भारत विकसित देश बन चुका होगा और दुनिया भारत की ओर देख रही होगी।
रूस ने भारत को 25% कम दाम में तेल बेचने की बात कही है। इसमे ऐसा नही है कि रूस को भारत से प्यार है बल्कि इसलिए क्योकि रूस को पैसों की सख्त जरूरत है। अमेरिका ने रूस को पूरी दुनिया से काट दिया है और अब रूस में वित्तीय संकट चरम पर है।
भारत मे भी वही खतरा है, दरसल तेल बेचने वाले देश डॉलर में भाव तय करते है। ईरान और वेनेजुएला के पास तेल बहुत था मगर अमेरिका ने उन पर प्रतिबंध लगा रखे है रूस के पास भी तेल है अब उस पर प्रतिबंध लगने वाले है। इससे होगा ये की तेल की बाजार में कमी आ जाएगी और इसके भाव बढ़ जाएंगे। पेट्रोल के दाम बढ़ते ही हर चीज महंगी होगी।
भारत में कुछ मंदबुद्धि इसके लिये भी मोदीजी का ही नाम रखेंगे। अमेरिका सोच रहा है कि किसी तरह वेनेजुएला और ईरान पर से प्रतिबंध नरम करके रूस पर प्रतिबंध ज्यादा लगा दे लेकिन अमेरिका ने अपने अफसर को वेनेजुएला भेजा ही था कि जो बाइडन का एक बार फिर मजाक बन गया।
आज महसूस हो रहा है जॉन एफ कैनिडी और रोनाल्ड रीगन का अमेरिका अपंग हो चुका है, अब ये वो अमेरिका नही रहा जो अफगानिस्तान और वियतनाम में घुसकर अपने दुश्मनों को मारता था या जिसके खांसने मात्र से दुनिया बीमार पड़ जाती थी।
अपितु यह जो बाइडन का कमजोर अमेरिका है जो ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया या भारत रूपी लकड़ी के खड़ा भी नही हो सकता। आसान भाषा मे आप मोरारजी देसाई और मनमोहन सिंह के समय का भारत याद कर लीजिए कुछ वही खिचड़ी अमेरिकियों ने पकाई है। अब अमेरिका के साथ सुपरपॉवर शब्द बेईमानी है।
हालांकि आप शुक्र मनाइए की आप अमेरिका में नही भारत मे है, आपके पास जो बाइडन नही नरेंद्र मोदी है। अब देखना रोचक होगा यदि वेनेजुएला और ईरान की एंट्री से तेल के दाम गिर गए तो ठीक वरना भारत खुलकर रूस के साथ खड़ा होगा क्योकि अंत मे एक जननेता सिर्फ अपने देश का स्वार्थ देखता है।
यदि भारत खुलकर रूस के साथ आया तो गुप्त काल के बाद पहली बार होगा जब भारत खांसेगा और दुनिया बीमार पड़ेगी। मैंने अपनी लगभग सभी पोस्ट्स में रूस का विरोध किया है और अमेरिका के पक्ष की बात की है लेकिन 25% बहुत बड़ा प्रतिशत है, भारत को अब खुलकर रूस के समर्थन में आना चाहिए।