मैं और मेरी बेटी जो मानसिक और शारिरिक रूप से कमज़ोर है, एक दिन घर के पास वाले पार्क में बैठे थे !अक्सर पार्क में होता ये था कि जहां हम बैठते थे, रोज के घुमन्तू लोग आस-पास से होकर बातचीत करते हुए निकल जाते. इसी तरह हम मां-बेटी भी पार्क में घूम कर लौट आते।
एक बार एक बच्चा बहुत ध्यान से बेटी और उसके व्यवहार का निरीक्षण करता दिखा तो उसे मैने अपने पास बुलाया। दो-तीन दिन तो वो दूर सर ही देखता रहा। फिर हिम्मत जुटा कर पास आया ओरअपने जिज्ञासा भरे प्रश्न पूछने लगा।मैं उसको उत्तर दे ही रही थी कि उसकी दादी मां जिनके साथ वह आया था आ गई और बच्चे का हाथ पकड़ उसे ले जाने लगीं। चल बेटा पगली के पास क्या कर रहा है?सच कहूं तो बुरा लगा कि मेरी बेटी को पागल क्यों कहा , ये सोचती रही कि ऐसे बच्चे तो किसी के भी हो सकते हैं फिर मैं ही हेय क्यो?
किसी को पागल कहकर पुकारना कितना सरल और सहज है पागल शब्द का संधि विच्छेद करो तो पा=प्रेम से, ग = गले , ल = लगाना। पा + गल होता है अर्थात पा = पा जाना , मिल जाना ,प्राप्त हो जाना आदि। गल= बात , गला , व्यक्त करना, गले से लगाना। कितना सुंदर शाब्दिक अर्थ है जिसे हम गलत प्रकार से प्रयोग करते हैं।
गौर कीजियेगा जब कभी चार मित्र मिलते हैं तो किस प्रकार हंसी ठिठोली करते हैं उनकी उन क्रीड़ाओं को देख सभी पागल कह कर पुकारते हैं जबकि उनको उसमें अति आनंद की प्राप्ति होती है तो किस प्रकार हम पागल शब्द को बुरा माने। क्या अपनी इच्छा अथवा बात को व्यक्त करना अथवा किसी चीज को पा जाना या आनंद को प्राप्त करना बुरा हो सकता है ? है ना सोचने वाली बात।
झल्ली पंजाबी में इस शब्द को पागल का पर्यायवाची समझा जा सकता है। इसका एक अर्थ अबोध भी होता है मासूम भी होता है और पंजाबी परिवारों में अपनी बहन बेटी को लाड़ दुलार से झल्ली पुकारते हैं क्योंकि उनको बोध नहीं होता वह मासूम होती हैं इसलिए पुकारा जाता है। मुझे नहीं लगता कि मासूम होना कोई गुनाह है इसमें अपना ही एक अलग व्यवहार अलग मस्ती होती है जो दुनिया से बेगानी और अपने आप में अनोखी होती है।
हम हमेशा यही सोचते आए हैं कि पागल वह होता है जो मानसिक रूप से विक्षिप्त हो किंतु इसका व्यावहारिक रूप भिन्न है। मूर्खतावश हमने सुंदर शब्द को बुरा बना दिया।
वैज्ञानिक भाषा मे पागल होना कोई विकार नहीं है एक स्थिति है जब मस्तिष्क का विकास रुक जाता है जो आप सीख चुके हैं उसी को दोहराते चलते हैं, विज्ञान की एक शाखा हैं यह। मानसिक रोगी को भी अक्सर पागल ही पुकारते हैं।हिस्टीरिया व अवसादग्रस्त को भी पागल कहकर ही पुकारते हैं।
ये सब तो कहकर पुकारने की बात हुई।वास्तव में निर्णय न ले पाना, असहज आचरण,आदि व्यवहार हैं।यह एक मस्तिष्क विकार होता है।जिसके कारण बालक असहज प्रतीत होते हैं।मेरा मानना है कि यदि हम मेहनत करेंगे तो ऐसे बच्चों का जीवन दुशवार होने से बचाया जा सकता हैं। मुझे गर्व है कि मैं विशेष बच्ची की विशिष्ट मां हूँ।