परसों सुबह याने ग्यारह नवंबर की सुबह पोलैंड बेलारूस सीमा पर अचानक हजारो की तादाद में जेहादी बढ़ आये और पोलैंड में घुसने का प्रयास करने लगे।
पोलैंड की सेना के 15 हजार सैनिक अब अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए खड़े है। मगर सबसे बड़ा प्रश्न है कि इतने सारे जेहादी पोलैंड के दरवाजे तक कैसे पहुँच गए, ये सारे जेहादी खुद को सीरिया का शरणार्थी बता रहे है जो कि पोलैंड से बहुत दूर है।
इन सबका एक ही खलनायक है रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, दरसल सीरिया से पोलैंड जाने के लिए आपको टर्की, अजरबैजान, रूस और फिर बेलारूस से होकर गुजरना पड़ता है। जाहिर है इन चार देशो में एक ही दिमाग है जो इतना ज्यादा दौड़ेगा और फिर रूस की यूरोपीय देशों से पुरानी दुश्मनी तो है ही।
रूस ने पहले शरणार्थियों को अपनी जमीन पर बुलाया और फिर अपने सबसे परममित्र राष्ट्र बेलारूस की सहायता से पोलैंड सीमा तक पहुँचा दिया। ज्ञातव्य हो कि बेलारूस का तानाशाह एलेग्जेंडर लुकाशेंको यूरोप का अंतिम तानाशाह है और पुतिन का परममित्र है।
रूस बारूद की गेंदों से खेल रहा है ये जाने बिना की उसका हाथ भी फट सकता है। जेहादियो को प्याला बनाकर आप शतरंज नही जीत सकते, ये गलती हमारे कुछ गद्दार राजाओ ने की थी नतीजा यह हुआ कि 565 वर्ष हमारी दिल्ली इस्लामिक आक्रांताओं के हाथ मे चली गयी थी।
बहरहाल पोलैंड के सामने धर्मसंकट खड़ा है, यदि पोलैंड इन जेहादियो पर जो कि शरणार्थी का चोला ओढ़कर आये है उन पर गोलियां चलाता है तो मानव अधिकार वाले उसे घेर लेंगे और यदि नही चलाई तो पोलैंड के साथ भी वही होगा जो भारत के साथ 1192 मे हुआ था। इस्लामिक सेना पोलैंड में प्रवेश कर लेगी और संभव है पोलैंड को एक युद्ध अपनी ही धरती पर लड़ना पड़े।
प्रश्न यह भी है कि भारतीय होने के नाते हमारे हित मे क्या है?
तो अब समझने वाली बात है कि ईसाईयो और मुसलमानों की दुश्मनी सदियो से पुरानी है, पूरा यूरोप महाद्वीप ईसाई धर्म का केंद्र है। इस्लामिक शक्तियां हर हाल में यूरोप को ध्वस्त करना चाहेगी, एक बार यूरोप खत्म तो फिर अमेरिका और एक समय पर भारत की भी बारी आएगी।
ये तो भविष्यकालीन मंत्रणा हुई, ऐतिहासिक बात करे तो पोलैंड को वही करना चाहिए जो हमारे राजाओ ने नही किया या जो हमारे राजाओ ने बाद में किया। पोलैंड को मानवाधिकार को ठेंगा दिखाकर जेहादियो पर प्रत्याक्रमण करना चाहिए और इतना वो भी मजबूत कि ये लोग पोलैंड की धरती पर पैर रखने से पहले 10 बार सोचे।
यदि पोलैंड सरकार ठोस कदम उठाती है तो भारतीयों को उसका समर्थन करना चाहिए, क्योकि बात सिर्फ पोलैंड पर ही नही रुकने वाली। बल्कि भारत के मित्र राष्ट्र जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन, ऑस्ट्रिया और फ़िनलैंड की तबाही की भी होगी।
अभी मुसलमान शरणार्थी बनकर घुसेंगे फिर कहेंगे कि यूरोप तो सबका है और फिर कहेंगे कि यूरोप तो सदा से मुसलमानों का है।
उपरोक्त इस स्थिति को लेकर हिन्दुओ के हित मे ये है कि यूरोप मजबूत हो ईसाई देश जो कि इस समय एक दूसरे की टांग खिंचाई कर रहे है वे संगठित होकर काम करे। इसी में मानवता का निहित स्वार्थ है।
अंत मे आइये हम एक बार प्रार्थना पोलैंड के सैनिकों के लिये भी करें, जो खड़े है अपने देश की रक्षा के लिये अपनी मौत के बिल्कुल सामने।