
गाँधी जी अपवाद क्यों न हों ? उनके लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कैसे दबा सकते हैं ? कालीचरण जी के एक शब्द के लिए गिरफ्तार कर लिया, ये कहीं महंगा ना पड़ जाये.
संत कालीचरण को रायपुर की पुलिस ने गाँधी जी के लिए बोले गए कथित अपमानजनक बयान के लिए गिरफ्तार कर लिया है.
हिन्दू संतों पर जुल्म ढाना तो कांग्रेस की बहुत पुरानी आदत है – मुझे याद है दिवाली की रात को एक फर्जी केस में शंकराचार्य जी को भी गिरफ्तार किया गया था –
सवाल ये उठता है कि क्या किसी व्यक्ति को गाँधी जी के आचरण पर कुछ बोलने की कोई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है –गाँधी जी से कोई सहमत हो या ना हो, ये उसका निजी मत है –आप किसी को जबरदस्ती गाँधी जी का आदर करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते.
कालीचरण जी ने हो सकता है कोई एक दो शब्द गाँधी जी के लिए बोल दिए हों, जो अपमानजनक हों मगर ऐसे गाली सूचक शब्द तो कांग्रेस एवं विपक्ष के लोग प्रधानमंत्री मोदी के लिए 75 से ज्यादा बार बोल चुके हैं.
कालीचरण जी ने, गाँधी जी ने जो किया, उसके विरुद्ध अपने विचार रखे थे और गोडसे द्वारा उनकी की गई हत्या को सही कहा था –ऐसा करके कालीचरण जी ने कोई पाप नहीं किया क्यूंकि उन्हें गाँधी जी के वध को सही गलत मानने का पूरा अधिकार है.
कालीचरण जी ने गाँधी जी को देश का पिता (राष्ट्रपिता) मानने से मना किया, कोई गलत नहीं किया -कोई सनातन काल से चले आ रहे राष्ट्र का पिता कैसे हो सकता है -गाँधी की नीतियों पर प्रश्नचिन्ह लगाना जो कालीचरण जी ने लगाए, उसमे कुछ गलत नहीं है.
कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को जब कुछ विरासत में छोड़ कर जाते हैं, उससे यदि बच्चे लाभ उठाते हैं तो उसका श्रेय अभिभावकों को जाता है.
ऐसे में यदि विरासत से बच्चों को पीड़ा होती है तो उसका श्रेय भी अभिभावकों को जाना चाहिए –कांग्रेस ने गाँधी जी को देश पर थोपना चाहा ये बता कर कि वो राष्ट्रपिता हैं.
फिर आज के सन्दर्भ मे जो देश भुगत रहा है सामाजिक और सांप्रदायिक दृष्टि से, उसे देखते हुए गाँधी जी भी दोषी कहे जाने चाहियें.
गाँधी जी कोई Holy Cow नहीं हैं, देश ने जो पीड़ा झेली हैं और आज भी जो झेल रहा है, उसे ध्यान में रखते हुए और देश के आज के हालात को देखते हुए अब बहस का समय आ गया है कि गाँधी जी के रोल, उनकी नीतियों, उनकी सोच और उनके जनता को दिए हुए संदेशों का मूल्यांकन किया जाये.
कांग्रेस ने हिन्दू देवी देवताओं का हर अपमान करने की छूट दी है विधर्मी लोगों को, भगवान् राम और राम सेतु को काल्पनिक कहते रहे मगर गाँधी पर बोलते ही भड़क जाते हैं वोट के लिए, ये नहीं चलेगा –कालीचरण जी की गिरफ़्तारी महँगी ना पड़ जाये.