आतंक का गारंटर है पाकिस्तान – और पाकिस्तान के साथ मिल कर तालिबान, ईरान और टर्की, इस्लाम के लिए वैश्विक खतरा साबित होंगे – 20 साल अमेरिका को लूटा, धोखेबाज पाकिस्तान ने!
9/11 के बाद अमेरिका ने 2001 के अक्टूबर महीने में अफ़ग़ानिस्तान से तालिबान को उखाड़ फेंका था और पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में बुश ने कहा था – या तो कायदे से लाइन पर आओ, या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहो!
परवेज़ मुशर्रफ ने तालिबान से लड़ने के लिए अमेरिका का साथ देने के लिए हां तो कह दी थी–लेकिन अमेरिका से उसके एवज में भारी रकम वसूलना शुरू कर दी थी -जो मुशर्रफ भारत में आतंक फ़ैलाने में उपयोग करता रहा.
ये तो डोनाल्ड ट्रम्प ही था जिसने पाकिस्तान को उसके इस्लामिक आतंकवाद को पहचान कर उसको पैसा देना बंद किया और तभी से पाकिस्तान एक भिखारी बनता चला गया.
अमेरिका को शक था कि ओसामा बिन लादेन को तालिबान ने छुपाया हुआ था मगर उसे पनाह दी हुई थी पाकिस्तान ने – और तब उसे पाकिस्तान में ही मारा था अमेरिका ने.
आज पाकिस्तान खुश है तालिबान का अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा होने पर –पाकिस्तान के मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार का कहना है कि पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान में शांति प्रक्रिया का सूत्रधार है, गारंटर नहीं.
लेकिन सच ये है कि पाकिस्तान उस अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के साथ मिल कर आतंक का गारंटर बनेगा – बस, उसे अफ़ग़ानिस्तान में तैयार हो रहे मिलिशिया ग्रुप्स से जरूर चिंता है.
ये ग्रुप्स तालिबान से टक्कर लेने की कोशिश में लगे हैं और उनका नेता वही जमात – ए – इस्लामी का नेता इस्माइल खान है जिसने 2001 में तालिबान को खदेड़ने में मदद की थी.
अभी ये कहना कठिन होगा कि अमेरिका का 31 अगस्त तक बाहर चला जाना उसकी हार है या कोई रणनीतिक चाल है.
इतना जरूर है कि आज के हालात के अनुसार तालिबान, पाकिस्तान, टर्की और ईरान इस्लाम के लिए एक खतरा बनेंगे और इस्लाम बनाम ईसाइयत के निर्णायक युद्ध की जमीन तैयार करेंगे.
इस्लाम बनाम ईसायत युद्ध में तमाम इस्लामिक मुल्क चपेट में आ जायेंगे, परिणाम जीसस जाने या अल्लाह – मगर युद्ध होगा जरूर जिसमे एक निर्णायक भूमिका में इजराइल भी होगा.
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