कोरोना की तीसरी लहर का – क्या गुरु और शनि के मकर राशि में होने से कुछ सम्बन्ध है?
कोरोना की तीसरी लहर आने के बारे कई ज्योतिषी भविष्यवाणी कर रहे हैं कि 15 सितम्बर, 2021 से देवगुरु बृहस्पति के मकर राशि में आने से कोरोना का प्रकोप बढ़ेगा क्यूंकि मकर में शनि से गुरु का योग इसे बढ़ाएगा.
वो आचार्य इतना तक कह रहे हैं कि एक दिन में 5 – 5 लाख केस तक आ सकते हैं और उसका श्रेय वो केवल गुरु शनि के साथ होने को दे रहे हैं यानि युति को दे रहे हैं.
मैं ज्योतिष विद्या नहीं जानता मगर फिर भी कुछ बातें बताना चाहता हूँ –गुरु और शनि जैसे दो बड़े ग्रहों के बीच युति तभी मानी जाती हैं जब उनमे फासला 5 डिग्री का हो.
15 सितम्बर को गुरु वक्री रह कर मकर में प्रवेश करेंगे जब शनि भी मकर में 13 डिग्री पर वक्री होंगे और इसका मतलब उनके बीच युति नहीं होगी.
12 अक्टूबर को शनि मकर में 12 डिग्री पर मार्गी होंगे और गुरु मकर के 28 डिग्री पर मार्गी होंगे यानि दोनों में कोई युति नहीं होगी.
इसके बाद 21 नवम्बर को गुरु कुम्भ में प्रवेश कर जायेंगे जब शनि मकर में ही 14 डिग्री पर होंगे. अतः गुरु और शनि का कोरोना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और ये पहले भी देखा गया है –कैसे, ये भी सुनिए.
21 नवंबर, 2020 से गुरु और शनि की युति मकर राशि में शुरू हुई थी मगर कोरोना नहीं बढ़ा.
ये युति 18 फरवरी, 21 को ख़त्म हुई जब गुरु मकर में 19 और शनि 13 अंश पर थे मगर तब केस बढ़ने लगे –
11 मार्च, 21 से और केस बढे जब गुरु 24 और शनि 15 डिग्री पर थे –
30 अप्रैल, 21 को केस 4 लाख के पार पहुंचे जब गुरु कुम्भ में 4 अंश और शनि मकर में 18 डिग्री पर थे. 8 मई, 2021 से केस घटने शुरू हुए जब गुरु कुम्भ में 5 अंश पर और शनि मकर में 19 अंश पर थे.
मेरे आंकड़ों के काटने के लिए बस एक ही तर्क दिया जायेगा कि इस बार गुरु और शनि दोनों वक्री हैं मगर पहले मार्गी थे –बेशक वक्री हैं मगर उनकी युति नहीं होगी.
गुरु के मकर में नीच के होने का प्रभाव न्यायपालिका पर जरूर हो सकता है जो गलत फैसले करेगी और उसकी छवि धूमिल होगी जो पहले से हो रही है –ऐसा मेरे एक ज्योतिषी मित्र का आंकलन है.