आतंकवाद के बुझे दिए में तेल डाल दिया, और आतंकिस्तान के “कटोरे” में भीख डाल दी बाइडन ने -कौन भरोसा करेगा अब अमेरिका पर!
जिस आतंकवाद को खुलकर डोनाल्ड ट्रम्प “इस्लामिक आतंकवाद” कहते थे और उससे लड़ते रहे –उस इस्लामिक आतंकवाद के बुझते दिए में बाइडन ने तेल डाल कर पुनर्जीवित करने का काम किया है.
ब्रिटेन तो अपने फायदे के लिए कितने ही देशों को “गुलाम” बना कर उन पर सैंकड़ों वर्षों तक राज करता रहा –और अमेरिका 20 वर्ष में थक गया आतंक से लड़ते हुए.
ऐसा कहा जा रहा है कि चीन की नज़र अफ़ग़ान की प्राकृतिक संपदा पर है -यदि ऐसा था तो अमेरिका भी उनका 20 वर्ष से दोहन कर सकता था और आगे भी कर सकता था.
लेकिन 85 अरब डॉलर के आधुनिक हथियार छोड़ कर अमेरिकी चले गए और उनसे अफ़ग़ान तालिबानों के घरों को रोशन कर गए, इसे क्या कोई मूर्खता नहीं कहेगा.
आज पाकिस्तान ने कहा है कि यदि तालिबान हमसे मदद मांगेगा तो हम मदद भी देंगे और उनके सैनिकों को ट्रेनिंग भी देंगे.
जो हथियार अमेरिका छोड़ गया, बदले में वो हथियार भी हथिया लेगा पाकिस्तान –यानि एक तरह से “कटोरा खान” के कटोरे में बाइडन ने हथियारों की भीख डाल दी.
अपने ही 13 मरीन की हत्या करवा बैठे बाइडन 170 लोगों में जिनकी जान काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुए 3 हमलों में गई.
कहने को ये हमले ISIS-K (खुरासान) ने किये मगर कोई नहीं जानता आतंक का कौन सा दल किसके साथ मिला हो और इसका हैंडल पाकिस्तान के ही हाथ में हो.
आज के इस्लामिक आतंकियों में और 56 इस्लामिक देशों में किसी में हिम्मत नहीं हैं कि उनमे कोई भी चीन के “उइघुर मुसलमानों” पर चीन द्वारा हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक बार भी आवाज़ उठाये.
आज तालिबान को चीन से मदद लेने पहले दस बार सोच लेना चाहिए कि शी जिनपिंग इस्लाम को एक “मनोरोग” कहता है जिसका इलाज वो उइघुर मुसलमानों पर कर रहा है.
चीन आज पैसा देगा तालिबान को पर कल पाकिस्तान की तरह काबू कर लेगा और जब चाहेगा कब्ज़ा कर लेगा.
रूस ने अपना नजरिया बदला है और अब वो अफ़ग़ान रिफ्यूजी लेने से मना कर रहा है –सारे फसाद पर एक देश पूरी तरह खामोश है और वो है – इजराइल –शायद किसी मौके की प्रतीक्षा है उसे.
बाइडन की वजह से अमेरिका की प्रतिष्ठा को ठेस लगी है –ऐसे संकट काल में CIA Director का गुप्त रूप
से मुल्ला बरादर से मिलना संदेहास्पद है.
अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को आज 75 हजार संख्या के लड़ाकों का तालिबान समूह बार बार धमकी दे रहा है कि 31 अगस्त तक हमारा देश छोड़ कर चले जाओ.
ये है बाइडन के देश की इज़्ज़त आज – इसके लिए बाइडन को ही शर्मिदा होना चाहिए.