पूछता है देश कि मोदी को क्यों खोलना पड़ा कांग्रेस का कच्चा चिट्ठा?
ऐसा छक्का मारा मोदी ने, की बॉल सीधे कांग्रेसी बाउंड्री के पार जा कर गिरी, अब कोंग्रेसी नेता अगली बॉल पर कहीं इटली न चले जाएँ, मोदी जी देखते रहिये अब आप
लोकसभा में सर्जिकल स्ट्राइक करने के बाद पी एम् मोदी ने राज्यसभा में बोलते हुए देश के सामने कांग्रेस का कच्चा चिट्ठा खोल दिया
शायद कांग्रेस के नेताओं को भी कांग्रेस का ऐसा परिचय नहीं रहा होगा जो मोदी ने करवा दिया और
जिसे जानकार दर्द इतना भयंकर हुआ कि सदन से ही भाग निकले
कांग्रेस और वामपंथी दलों ने पिछले 7 साल से कोहराम मचाया हुआ है कि मोदी राज में लोगों की बोलने की आज़ादी छीन ली गई है, सहिष्णुता ख़तम हो गई है, संवैधानिक संस्थाओं को दबाया जा रहा है और देश में “डर” का माहौल है —
आप ऐसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की ही बात करना चाहते हैं कि देश के प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति के संदेश के आदर में भी बोलने से भी आप रोकना चाहते हैं –यही सहिष्णुता है आपकी देश के प्रधामंत्री के लिए –
राष्ट्रपति का पद एक संवैधानिक पद है, संसद एक संवैधानिक संस्था है, न्यायपालिका और चुनाव आयोग भी संवैधानिक संस्थाएं हैं मगर मोदी की सरकार नहीं, कांग्रेस और विपक्ष इन पर रोज हमले करते हैं –
नेहरू जी के समय से कांग्रेस का “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” और “सहिष्णुता” से दूर दूर तक कोई नाता नहीं रहा –जब भी कोई नेहरू और फिर तथाकथित गाँधी वंश खानदान के खिलाफ बोला, उसे कुचल दिया गया जिसके कई उदहारण आज मोदी जी ने दिए जो शायद बहुत लोगों को पता नहीं होंगे –
क्या कांग्रेस का कोई नेता या कोई भी वामपंथी या कोई भी ऐसा प्राणी जिसे देश में “डर” लगता है, कोई ऐसी बात बता सकता है जो उसको बोलने से रोका गया हो और उसकी “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” का हनन किया गया हो —
ऐसे आरोप लगाने वाले सभी लोग, जो मुंह में आया, वो बोलते रहे हैं, खुद “डर” की बात करते रहे हैं, और अपने लोगों द्वारा बहुसंख्यक कौम को ख़त्म करने की धमकी देने पर खामोश रहते हैं —
जिस नरेंद्र मोदी को दुनियां भर में बदनाम कर कांग्रेस + वामपंथी गुजरात से नहीं हटा पाए और जिसे प्रधानमंत्री बनने से रोक नहीं पाए, उसे अब झेलना इनके बस की बात नहीं रही —
अब नरेंद्र मोदी को कांग्रेस हटा नहीं सकती, अलबत्ता मिट जरूर जाएगी और इसलिए अब शायद इस पार्टी के बड़े लोग जल्दी ही इटली निकल लेंगे —
कांग्रेस ना होती तो क्या क्या ना होता, ये बहुत बातें मोदी जी ने बताईं मगर एक बात वो नहीं कह सकते थे, इसलिए नहीं कही -कांग्रेस का यदि जन्म ना हुआ होता तो भारतीय राजनीति के पटल पर मोहनदास करमचंद गाँधी का भी उदय ना हुआ होता और शायद देश “खंडित” हुए बिना वर्षों पहले आज़ाद हो गया होता जिसके प्रधानमंत्री नेहरू न होते और नेहरू न होते तो आज देश का वंशवादी विपक्ष दूसरा होता.