नकली गाँधी अपने नेताओं के झगड़े नहीं सुलझा पा रहे – देश के संकट कैसे सुलझायेंगे? – सिद्धू की विदाई की तैयारी हो रही है तो क्या केजरीवाल सीएम बनाएंगे?
ये बात मैं काफी दिनों से कह रहा हूँ कि कैप्टेन अमरिंदर सिंह सिद्धू को बर्दाश्त नहीं करेंगे –या तो सिद्धू पार्टी से बाहर होंगे या अमरिंदर जय श्री राम बोलेंगे.
नकली गाँधी परिवार दोनों सरदारों के के झगड़े को सुलझाने में फेल हो गए लगते हैं – एक विकल्प कहते हैं कि सुझाया गया था कि मुख्यमंत्री तो अमरिंदर ही रहेंगे मगर सिद्धू का कद पार्टी में बढ़ाया जायेगा.
लेकिन कुछ नहीं हुआ, लगता है अमरिंदर ने सिद्धू को किसी तरह से पार्टी में अहमियत देने से साफ़ मना कर दिया – और इसीलिए एक ट्वीट सिद्धू का सामने आया है जिसमें सिद्धू ने लिखा है —
“विपक्षी दल “आप” ने 2017 के पहले से मेरे विज़न को सराहा है, चाहे वो ड्रग्स का मसला हो या किसानों का, भ्रष्टाचार या फिर पंजाब में बिजली समस्या हो”.
2017 में सिद्धू ने भाजपा से मांग की थी कि अकाली दल को छोड़ कर उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट किया जाये – आज सिद्धू भाजपा छोड़ कर गये अन्य नेताओं की तरह अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं – जो इज़्ज़त भाजपा में थी वो आज तक नहीं मिल सकी.
ये मांग केजरीवाल ने भी नहीं मानी, इसलिए तब “आप” में नहीं गए मगर कांग्रेस ने “उपमुख्यमंत्री” बनाने का भरोसा दे दिया था –जिस पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैंची चला दी.
आज भाजपा से अकाली दल अलग है मगर सिद्धू ने मोदी के खिलाफ पिछले चार साल में ऐसा जहर उगला है कि अब उनको भाजपा में जगह नहीं मिल सकती.
मगर अब भी क्या केजरीवाल उनको मुख्यमंत्री बनाने के लिए तैयार होंगे? और ये वादा लिए बिना सिद्धू शायद ही “आप” में घुसे.
ये हो सकता है कि फिलहाल केजरीवाल सिद्धू को वादा करदें और बाद में अपने हर वादे की तरह उसको भी तोड़ दें –वैसे सिद्धू भी पाकिस्तान से अच्छी मोहब्बत रखते हैं और केजरीवाल भी पंजाब पर कब्ज़ा चाहते हैं चाहे इसके लिये पाकिस्तान को अपने पैर पसारने में परोक्ष-अपरोक्ष समर्थन ही क्यों न देना पड़े -केजरीवाल सरहद पार बैठे अपने शुभचिन्तकों की मोहब्बत खोने का खतरा नहीं उठायेंगे.
मगर इस बीच सबसे बड़ी मजेदार खबर ये है कि जिन नेताओं को नकली “गाँधी” भाई बहन मिल नहीं रहे थे, उन्होंने प्रशांत किशोर से मुलाकात की है –शायद सिद्धू को ठिकाने लगाने का लक्ष्य लेकर.
जो “नकली” गाँधी परिवार अपने नेताओं के झगड़े नहीं सुलझा पा रहा है, यदि उसके सामने देश के संकट होते तो तो वह क्या करता?
(सुभाष चन्द्र)
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