उत्तर प्रदेश में प्रांतीय चुनाव हैं अगले साल. तैयारियां दोनों तरफ शुरू हो गई हैं. कांग्रेस की तरफ से प्रियंका वाड्रा सक्रिय हो गई हैं तो योगी आदित्यनाथ पहले ही सक्रिय हैं. स्थिति ये है कि प्रदेश में योगी आदित्यनाथ वाली भाजपा अपने दुहरे नेतृत्व के कारण दुहरी मजबूत दिखाई देती है. योगी आदित्यनाथ का सुशासन और पीएम मोदी की विकास यात्रा के सामने कितनी मजबूती दिखा पाएगी प्रियंका वाड्रा वाली कांग्रेस, ये आने वाला वक्त बताएगा.
”सपा बसपा की जरूरत नहीं”
कांग्रेस ने कह दिया है कि प्रदेश मे उसे सपा बसपा -किसी की जरूरत नहीं है. लेकिन उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों के लिए ये चौंकाने वाला ऐलान नहीं है. कांग्रेस पहले भी कई बार इस तरह की चुनाव पूर्व वाली घोषणाएं करती आई है और अक्सर उसने अपनी बात से पलटी भी खाई है. इसलिए फिलहाल ये कांग्रेस की एक चुनावी रणनीति भी मानी जा सकती है. प्रियंका वाड्रा के विशेष सलाहकार आचार्य प्रमोद कृष्णम का ये वक्तव्य सामने आया है जिसमे उन्होंने कहा है कि – कांग्रेस को सपा-बसपा की बैसाखियों की जरूरत नहीं है.
प्रियंका वाड्रा उतर गईं रणभूमि में
उत्तर प्रदेश की चुनावी रणभूमि में प्रियंका वाड्रा उतर चुकी हैं और अपनी सक्रियता से वे प्रदेश में पार्टी को मजबूत करने के लिए मिशन मोड पर काम करती दिखाई दे रही हैं. फरवरी के दूसरे सप्ताह से अब तक वे 5 बार उत्तरप्रदेश की यात्रा कर चुकी हैं. इस चुनावी यात्रा के दौरान वे 3 बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश पहुंची हैं जहां उन्होंने किसान महापंचायत की है. इसी तरह 2 बार प्रयागराज पहुंचकर निषाद समुदाय को उन्होंने कांग्रेस के हाथ के साथ जोड़ने का प्रयास किया है.
प्रदेश कांग्रेस में नवजीवन का संचार
प्रदेश में अपनी अंतिम साँसें गिन रही कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के लिए प्रियंका वाड्रा की कोशिश संजीवनी का कार्य करती दिखाई दे रही है. चुनावी पंडित भी मान रहे हैं कि प्रियंका के ये दौरे कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में सशक्त कर रहे हैं. अब तक ये हाल था कि इस ऐतिहासिक पार्टी जो कि मूल रूप से उत्तरप्रदेशी पार्टी थी, के कार्यकर्ता निराश भाव में मुँह लटकाये बैठे थे, अब उनमें उत्साह का नया संचार दिखाई दे रहा है.