यूक्रेन को तबाही का मंजर देख मोदी याद आये, बचाएं हमें – क्या भारत का साथ दिया कभी यूक्रेन ने ?–शायद नहीं !
यूक्रेन पर रूस के हमले ने एक बात साफ़ कर दी है कि दूसरे देशों की मदद के भरोसे किसी देश को शक्तिशाली देश से उलझना नहीं चाहिए.
संकट में घिरे यूक्रेन की तरफ से युद्ध करने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने साफ़ मना कर दिया -नाटो समूह भी यूक्रेन को मदद के लिए केवल हथियार दे सकता है लेकिन युद्ध तो उसे खुद ही लड़ना होगा और इसीलिए यूक्रेन के राष्ट्रपति का दर्द छलक गया –हमें अकेला छोड़ दिया गया.
कोई भी देश दूसरे देश के लिए युद्ध में नहीं कूदता और ताइवान को भी सावधान रहना चाहिए कि चीन के हमले की स्तिथि में कहीं अमेरिका उसके लिए भी युद्ध करने से मना न कर दे.
यूक्रेन को संकट में मोदी याद आये और भारत में उसके राजदूत ने कहा कि मोदी विश्व के सबसे पॉवरफुल नेता हैं जिनके पुतिन से गहरे संबंध हैं, वो आगे आ कर हमारी मदद करें -वो चाहें तो रूस को रोक सकते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में हर देश को अपना हित देखना जरूरी होता है मगर ना जाने क्या सोच कर कभी भी यूक्रेन ने भारत का साथ नहीं दिया –ऐसे में क्या यूक्रेन को हम अपना मित्र राष्ट्र कह सकते हैं.
यूक्रेन ने क्या क्या किया भारत के खिलाफ, इस पर नज़र डालिये.
1. 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण की भरपूर निंदा की और भारत पर लगे प्रतिबंधों का समर्थन किया;
2. UNSC में भारत की स्थाई सदस्यता के विरोध में वोट दिया;
3. पाकिस्तान को 650 मिलियन डॉलर के T-80 टैंक बेचे ये जानते हुए कि वो भारत के खिलाफ ही प्रयोग होंगे;
4. विशाल यूरेनियम भंडार होते हुए भारत को यूरेनियम देने से मना कर दिया;
5. यूक्रेन अलकायदा का समर्थन करता है.
यूक्रेन को आभास होना चाहिए कि जिस पाकिस्तान को वो टेंक बेच रहा था उसका पी एम् इमरान खान रूस के द्वारा यूक्रेन पर हमला होने के 2 घंटे बाद पुतिन के साथ बैठा लंच कर रहा था —
इतना होते हुए भी प्रधानमंत्री मोदी ने 25 मिनट पुतिन से बात कर कूटनीतिक तरीके और बातचीत से समस्या का हल निकालने के लिए अपील की और भारतीय छात्रों की सकुशल वापसी पर भी बात की.
कुछ दिन पहले बाइडन ने कहा था कि रूस अगर युद्ध छेड़ता है तो भारत हमारा साथ देगा -आज, अमेरिका भी भारत के साथ की आस लगाता है और रूस भी.
अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भारत का क्या महत्त्व है, ये साबित करने के लिए इससे बड़ा सबूत और कुछ नहीं हो सकता है और ये मुमकिन हो पाया है केवल मोदी की कूटनीतिक क्षमता की वजह से.
भारत का हित यूक्रेन में इस समय वहां से 20000 छात्रों को सकुशल वापसी में है जिसके लिए सरकार पूरा प्रयास कर रही है जैसा पहले भी करती रही है आतंकित देशों में.