दावोस में मोदी का मजाक उड़ा कर राहुल गाँधी ने देश का अपमान किया – मगर कल एक साथ 3 झटके मिल गए
दावोस के World Economic Forum में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भाषण में हुई गड़बड़ी को ले कर मोदी का मजाक उड़ा कर राहुल गाँधी और उसके लुटियन के पत्रकारों ने देश का तबियत से अपमान किया.
लेकिन कल राहुल गाँधी और उसके सभी दरबारियों को एक साथ 3 झटके लग गए –आइये बात करते हैं क्या वज्रपात हुए राहुल गाँधी और उनके दासों पर.
1. सुबह ही खबर आ गई कि नरेंद्र मोदी एक बार फिर विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता बन गए जिनका कुल अप्रूवल रेटिंग 71% है जबकि बिडेन 43% के साथ 6 नंबर पर और बोरिस जॉनसन 26% के साथ सबसे नीचे 13 नंबर पर हैं.
यानि जिस मोदी को सुबह से शाम तक अपने गिरोह के साथ कोसते हैं, उसके सामने विश्व में कोई खड़ा नहीं हो पा रहा –राहुल के दोस्त जिनपिंग और इमरान खान तो कहीं इस प्रतियोगिता में होते ही नहीं.
2. दूसरा वज्रपात किया मोदी सरकार ने कि राहुल की दादी की जलाई हुई अमर जवान ज्योति का अस्तित्व ही मिटा दिया गया उसका राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति में विलय कर दिया गया है – इसके बारे में कल विस्तार से लिख चुका हूँ.
3. तीसरा झटका मोदी जी ने खुद ट्वीट करके दिया राहुल गाँधी को कि इंडिया गेट पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाईं जाएगी और इस बार उनके जन्मदिन पर नेता जी की होलोग्राम की छवि लगा दी जाएगी.
नेता जी की प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थापित करना राहुल गाँधी और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका है क्यूंकि ये लोग खुद इंडिया गेट पर नेहरू या गाँधी की प्रतिमा लगाने की नहीं सोच सके –
जवाहरलाल नेहरू ने तो नेता जी के प्रति अक्षम्य अपराध और गद्दारी की थी – ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को नेता जी के बारे में गुप्त सूचना दे कर जिससे उन्हें गिरफ्तार किया जा सके.
ये पत्र नेहरू जी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री, क्लेमेंट एटली को 27 दिसंबर, 1945 को लिखा था जिसका हिंदी रूपांतर इस प्रकार है –
” प्रिय श्री एटले, मुझे विश्वस्त सूत्रों से विदित हुआ है कि सुभाष चंद्र बोस, जो आपका युद्धबंदी है, को स्टालिन द्वारा रुसी क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दी गई है, यह स्पष्टरूप से विश्वासघात व धोखा है क्यूंकि रूस, ब्रिटिश और अमेरिका गठबंधन का हिस्सा है, इसलिए ऐसा नहीं किया जाना चाहिए, कृपया इसका ध्यान करें तथा जैसा उचित व उपयुक्त समझें कार्यवाही करें-
भवदीय
जवाहरलाल नेहरू”
नेहरू जी ने नेता जी के साथ गद्दारी की मगर मोदी ने नेता जी को उनका उचित सम्मान देने का प्रयास किया है जिसके वो अधिकारी हैं, जबकि नेहरू कांग्रेस ने नेताजी का नाम विलुप्त करने की पूरी कोशिश की.
अबकी बार नेता जी के होलोग्राम छवि ही गणतंत्र दिवस पर “मुख्य अतिथि” होगी, ऐसा लगता है.
नेता जी ही नहीं, अनेक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों के लिए, जिनमें सावरकर, भगत सिंह, आज़ाद भी शामिल हैं, कांग्रेस हमेशा एक कलंक के रूप में ही जानी जाएगी.