विश्व के सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देश को सशक्त करने के लिए मदद खुद चल कर भारत आ रही है.
एक वक्त था जब भारत पर जिस देश का शासन था आज वही देश भारत के लिए अपनी मित्रता का परिचय देते हुए गर्व की अनुभूति कर रहा है. भारत पर लगभग दो सौ साल शासन करने वाला इंग्लैण्ड आज भारत के करीब आने में गौरव महसूस कर रहा है.
दरअसल भारत दौरे पर आये थे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन. भारत में जो सम्मान मिला उससे वे बड़े प्रभावित हुए लेकिन भारत में जो अपनापन और प्यार उनको मिला उससे वे अभिभूत हो गए. उन्होंने कहा कि ऐसा सम्मान मुझे दिया गया कि मुझे लगा कि जैसे में अमिताभ बच्हन हूँ या सचिन तेंदुलकर हूँ.
बोरिस जॉनसन को जानने वाले ये जानते हैं कि वे राजनीतिज्ञ से अधिक एक मस्तमौला किस्म के इंसान हैं और उनका यह स्वभाव उनके हर काम-काज में दिखाई देता है.
उनके भारत दौर के दौरान जो उनकी बॉडी लैंग्वेज नज़र आई उसमे साफ दिखाई दिया कि वे एक राष्ट्राध्यक्ष से अधिक एक मित्र के भाव में भारत में थे. जो उनके चलने-फिरने और बोलने में भी नज़र आया.
बोरिस जॉनसन की दूरदर्शिता इस बात में भी नज़र आई कि उन्होंने विश्व शक्ति बन कर उभरे नए भारत के साथ जुड़ने में दिलचस्पी दिखाई. वे जान गए कि आने वाला समय भारत का है और विश्व गुरु बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे भारत के साथ कदमताल मिला कर चलना दोनों ही देशों के हित में होगा.
वैश्विक स्तर पर भारत की छवि एक ईमानदार और साथ निभाने वाले देश की है. मोदी सर्कार ने तो भारत की एक मददगार देश की छवि भी बना दी है जिसने दुनिया भर में भारत को सम्मान और प्यार दिलाया है.
ऐसे में बोरिस जॉनसन ने भारत को दिल खोल कर साथ निभाने के वायदे किये हैं और ब्रिटेन और भारत के बीच कई व्यावसायिक तथा सुरक्षा समझौतों को ले कर भी अनुबंध किया है. सबसे अहम जो मदद भारत की ब्रिटेन करने वाला है वो है ये कि ब्रिटेन भारत के साथ सुपर लड़ाकू विमान बनाने की जानकारी साझा करेगा.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भारत दौरे पर हैं। 21 अप्रैल को वह गुजरात में थे और 22 को दिल्ली में हैं। जॉनसन 22 अप्रैल को पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर कई मसलों पर बातचीत करने वाले हैं। इस बातचीत से पहले ब्रिटेन ने कहा है कि वह भारत को लड़ाकू विमानों के निर्माण पर जानकारी प्रदान करेगा.
ब्रिटिश पीएम ऑफिस द्वारा जारी किये गए बयान में कहा गया है कि ब्रिटेन नए भारतीय-डिजाइन पर आधारित लड़ाकू जेट की तकनीक भारत को प्रदान करेगा जिसके अंतर्गत वह भारत को युद्ध जीतने वाले विमानों के निर्माण की सर्वश्रेष्ठ ब्रिटिश जानकारी प्राप्त होगी. दोनों देशों के इस अनुबंध पर एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस कदम से रक्षा क्षेत्र में भारत के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के लिए बहुत जरूरी बढ़ावा मिलने की संभावना है।
इसके बाद लगाए गए अनुमान के अनुसार अब दुनिया में रूस के बाद भारत का दूसरा बड़ा रक्षा सहयोगी बनेगा ब्रिटेन. दूसरे नज़रिये से देखें तो ब्रिटेन ने इस प्रस्ताव द्वारा रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर भारत की निर्भरता को दूर करने की कोशिश की है. भारत रूस से स्पेयर पार्ट्स सहित रक्षा उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी किये गए बयान में कहा गया है कि ब्रिटेन हिंद महासागर में खतरों की पहचान करने और उनका जवाब देने के लिए नई तकनीक के लिए भारत की आवश्यकताओं की आपूर्ति में सहयोग करेगा. ब्रिटेन ने यह बात ऐसे वक्त में कही है कि जब चीन हिंद महासागर में अपनी गतिविधियां बढ़ाने में जुटा हुआ है और भारत के लिए चिंता पैदा कर रहा है.
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि पिछले साल ब्रिटेन ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपने कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को हिंद-प्रशांत के लिए अपने रणनीतिक झुकाव के हिस्से के रूप में तैनात किया था जो ब्रिटेन की तरफ से भारत के लिए एक सहयोगी की भूमिका थी.