
जैसा नाम वैसा काम..केेएल राहुल सदा अपनी विरोधी टीम की जीत की राह में काँटा बने रहे और अब सबसे बड़ा काँटा बन गए हैं भारतीय कप्तान बन कर..आइये देखें इस कामयाबी का सफर
ये एक ऐसे खिलाड़ी की कामयाबी का सफर है जिसने न केवल अर्श से फर्श तक का सफर टीम इण्डिया में दो-दो बार तय किया है बल्कि इसने क्रिकेट के कुल चार विभागों में से तीन विभागों में अच्छा प्रदर्शन किया है – बल्लेबाज़ी, क्षेत्ररक्षण और विकेट कीपिंग में. इसीलिए ही इनको क्रिकेट कमेन्टर्स ने प्यार से नाम दिया है – कमाल लाजवाब राहुल का.
टीम से हुए निलंबित और फिर आये धमाके से
केएल राहुल ने पिछले तीन साल में कमाल का संघर्ष किया है और वे टीम इण्डिया में निलंबन से कप्तानी तक की सीढ़ियां चढ़ चुके हैं. कप्तान बनने का धमाका तब हुआ जब कप्तान रोहित शर्मा के पैर की मांसपेशियों की चोट के पूरी तरह ठीक न होने के कारण राहुल को दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध एक दिवसीय श्रृंखला में भारत की वन डे टीम की कप्तानी दी गई है.
भारतीय क्रिकेट के बिग बॉस सीरीज़ में आये राहुल
आज लोकेश राहुल भारतीय क्रिकेट जगत का एक ऐतिहासिक नाम बन गए हैं. अपने कुल सात सालों के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर में चढ़ाव आये तो उतार भी आये परन्तु लोकेश ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. इन सात सालों ने उपलब्धियों की एक लम्बी सूची केएल राहुल के नाम कर दी है. अब राहुल दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध इस माह भारत की एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व करेंगे.
होने वाले हैं तीन एक दिवसीय मैच
दक्षिण अफ्रीकी के विरुद्ध टीम इण्डिया इस महीने तीन मैचों की श्रृंखला खेलने जा रही है. दक्षिण अफ्रीका में होने वाले ये तीनों एकदिवसीय मैच पार्ल और केपटाउन में 19, 21 और 23 जनवरी को खेले जाने वाले हैं.
लगा था बैन राहुल पर
भारतीय टीम से अंदर-बाहर खेलते रहने वाले इस कमाल खिलाड़ी के करियर में एक बड़ा मोड़ तीन साल पहले जनवरी 2019 में आया था. उस समय एक चैट शो ‘कॉफी विद करण’ के दौरान उन्होंने महिलाओं के प्रति कोई टिप्पणी कर दी थी जिसे आपत्तिजनक मान कर उनको और ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने ऑस्ट्रेलिया दौरे के मध्य से ही निलंबन का दंड दे कर टीम से बाहर कर दिया था. उनको भारत आना पड़ा और नुक्सान ये भी हुआ कि दो हफ्ते बाद जब उनका निलंबन हटा तो उस कारण वे न्यूजीलैंड दौरे पर भी नहीं जा पाए थे.
”मैंने सोचा कि बचे हैं बस दस साल”
राहुल ने उस निर्णायक घटना को याद करके कहा कि ‘‘मैं जानता हूँ कि एक क्रिकेटर के तौर पर मेरा करियर काफी लंबा नहीं. आज से देखें तो शायद अब 12 या 11 साल मेरे पास बचे हैं और मुझे अपना पूरा समय और अपनी पूरी ऊर्जा टीम के लिए समर्पित खिलाड़ी बनने पर लगाना होगा. मेरी मानसिकता में आये इस बदलाव ने मेरे ऊपर से दबाव काफी कम कर दिया और मैंने और बेहतर खेलने तथा चैंपियन टीम का हिस्सा बनने की दिशा में अपना ध्यान केंद्रित किया.’