
उस दिन लगभग हफ्ते भर बाद थोड़ा फ्री हुआ था राजेश. फेसबुक करने का बिलकुल मन नहीं था पर शायद किसी ने खींच लिया उसे. कोई था वहाँ जिसे उसका इंतज़ार था. अनमने मन से कंप्यूटर खोला तो सबसे पहले फेसबुक लॉगिन किया.
इनबॉक्स बहुत भर गया लगता है. लोग गुड मॉर्निंग करते नहीं थकते. चलो थोड़ा खाली कर दूँ, सोचा राजेश ने.
एक साल पहले तक के सारे मैसेज उड़ा डाले. काफी हल्का सा लगने लगा. तभीउसकी नज़र एक सन्देश पर पड़ी.
”नमस्कार राजेश जी..आपकी हर पोस्ट इंग्लिश में क्यों होती है? कभी हिंदी में भी लिख दिया कीजिये कुछ..”
ये कौन है? देखा तो कोई देवयानी भंडारी थी.
आचरणगत सज्जनता का परिचय देना नहीं भूला राजेश, तुरंत लिखा –
”अरे..ओह्ह..क्षमा चाहता हूं..अब ध्यान रखूंगा..ये वादा है आपसे”
कमाल ही हो गया. तुरंत सामने से जवाब आया जैसे कि सामने वाला बस प्रतीक्षा में ही बैठा था.
‘हाँ’ – देवयानी ने लिखा..और साथ में ये भी लिखा – ‘नहीं किया तो सजा मिलेगी!’ – सन्देश के साथ एक स्माइली भी था. इसलिए अजीब नहीं लगा.. राजेश को हंसी आई ..वाह, क्या बात है
कई लोग कितनी सहजता से बात करते हैं फेसबुक पर. नई बात नहीं थी राजेश के लिए. राजेश भी तो खुले दिमाग का इन्सान था.
उसने भी जवाब दे दिया — ‘धन्यवाद.. ध्यानाकर्षण के लिये’
‘हाहा हा..ठीक है..थैंक यू’
‘स्वागत है आपका !’
‘कल पूरी रात आपकी पोस्ट्स देखते हुए कट गई क्योकि ज़रा नींद नही आ रही थी कल’
जी, अच्छा..
‘अच्छा लिखते हो आप’
ओह..धन्यवादआपको!
-मुझे लिखना-पढ़ना नही आता पर समझती बहुत हूँ जी!
जी धन्यवाद !..
इतनी परिनिष्ठित हिंदी में लिखते हुए काफी अच्छा लग रहा था राजेश को. ऐसा अवसर फेसबुक पर पहली बार आया था जब वह विवश हो कर हिंदी लिख रहा था. और हां, वो हिंदी में लिखने को एन्जॉय भी कर रहा था..
क्या सचमुच हिंदी को एन्जॉय कर रहा था..या बात करने को..देवयानी भंडारी के साथ- राजेश ने खुद से पूछा..मुस्कान दौड़ गई उसके चेहरे पर
– आप चुप क्यों हैं..कुछ तो बोलिये !
ओह..जी..बिलकुल..सॉरी..ध्यान ही नहीं रहा
सॉरी क्यों..क्या ध्यान नहीं रहा?
-कि आप प्रतीक्षा कर रही हैं..सॉरी, मैने आप को प्रतीक्षा कराई
‘अरे, मेरा एक साल पुराना मैसेज आज देखा आपने उसकी सॉरी कहाँ गई..😊😊’ – देवयानी ने पूछा, साथ में थे दो स्माइली भी भेज दिए.
ओह..हाँ, एक तो रोज़ आ नहीं पाता हूँ फेसबुक पर..हफ्ते में एक दो बार ही मौका मिलताहै..इनबॉक्स में नये मैसेज भर जाते हैं तो पुराने नज़र नहीं आते..
-हा हा हा..होता है होता है
आप ऑनलाइन भी नहीं दिखते, छुपे रहते हैं..
जी हाँ, वो एक्चुअली..
मैं तो रहती हूँ ऑनलाइन, गेम खेलती रहती हूँ न
जी, अच्छा..बहुत अच्छा
याद है हमारी पहली मुलाकात की तारीख क्या थी वो?
मुलाक़ात? तारीख? कब हुई आपसे मुलाक़ात?
हाहा हा..आप भी न बस..अरे, मेरा मतलब है कि एक साल पहले जब आपको मैसेज किया था..तब की तारीख
ओह्ह ..अच्छा..जी वो ध्यान नहीं दिया मैंने
कोई बात नहीं..मैं बताती हूँ आपको 19 जुलाई दो हज़ार सत्रह
अरे वाह..याद था आपको? वैसे हमारी बात कभी हुई नहीं शायद
हाँ, कहाँ हुई बात..आपने मेरे मैसेज का जवाब कहाँ दिया
ओह..अच्छा.. वो मुलाकात.. आई मीन आपका वो मैसेज ..जी, ठीक कहा आपने
‘हा हा हा..हम तो मिले थे आपसे, पर बात ही नहीं हो पाई आपसे’
हाँ, जी..सॉरी..मैं थोड़ा व्यस्त रहता हूँ
‘अरे अरे अब यार इतना सॉरी मत बोलो प्लीज़..’ – कमाल है, बिलकुल ही बेतकल्लुफ हो गईं थीं देवयानी जी..इस वाक्य के साथ प्यार भरे दो चेहरे भी भेज दिए थे उन्होंने ..😍😍
‘रुकना, जाना मत.. दस मिनट में आती हूँ’
राजेश को बड़ी राहत महसूस हुई. उसने तुरंत हाँ लिख कर फेसबुक को लॉग आउट कह दिया..
अच्छा जी.. ऐसा भी होता है….मैं कोई सेलेब्रिटी नहीं ..फिर भी लोग एक साल से भेजे हुए अपने मैसेज का इंतज़ार करते हैं.. राजेश सोच रहा था. – वैसे भी मैं तो इंग्लिश में लिखता हूँ..और कम ही लोगों से बात होती है. नए लोगों से ज्यादातर हेलो-हाय की औपचारिकता की पूर्ती से अधिक कुछ नहीं होता.
राजेश को कह दिया था घर वालों ने – कोई अच्छी लड़की मिले तो बताना..नहीं तो यहीं देखेंगे कोई भुसावल में.
किन्तु शालीनतावश राजेश अपनी ओर से किसी से कभी बात आगे नहीं बढ़ाता था..इसलिए न उसकी बात बनती थी न बिगड़ती थी.
तीन दिन बाद दो मिनट के लिए फेसबुक खोलना पड़ा राजेश को.
अहमदाबाद से फोन आया था परमिन्दर का – ‘शादी कर रहा हूँ ..देख, पिक भेजी है एफबी पर तेरी भाभी की’
‘अरे, आ गए आप!’ – लो, आते ही आ गया मैसेज उसका जो उसके इंतज़ार में थी. क्या तब से यहीं थी ये? राजेश ने सोचा एक दो सेन्टेन्स बोल के निकलता हूँ.
ओह्ह, आप, देवयानी जी !
जी, हाँ..आपने क्या सोचा..चली गई मैं ?..मैंने बोला था न दस मिनट में आउंगी
ओह्ह, हाँ..याद आया..
क्या याद आया आपको ?..प्लीज़ बताओ
ओह, मेरा मतलब था कि आप थीं यहां, याद आया..आपसे बात भी हुई थी
खुशी नहीं हुई आपको?
जी, नहीं नहीं..ऐसी बात नहीं..ख़ुशी हुई आपको देख कर
याद है..मैंने कहा था सजा मिलेगी ..अगर मैसेज का जवाब नहीं दोगे
‘हा हा हा ‘ – हंसने को मजबूर था राजेश..सज्जनता भरी थी ये हंसी और विवशता भरी भी
गनीमत है पास नहीं हो..हा हा हा
हाहा हा- अरे पास होता तो क्या करती ये..कमाल है यार..राजेश ने सोचा ऐसी लड़की से तो पहली बार मुलाक़ात हो रही है..इतना अधिकार मानने लगी..एक बार की ज़रा सी चैटिंगमें..?
पास होते तो अब तक..पिट चुके होते😃😃
बड़ा अजब हास परिहास था ये..कमाल है..मगर राजेश को बुरा नहीं लगा..लेकिन थोड़ा अजीब तो लगा..ऐसे कैसे कोई किसी पर इतना अधिकार मान सकता है?
ओह्ह, शायद ये विश्वास साल भर से होते-होते बना है..इसका मतलब साल भर से मेरी पोस्ट्स पढ़ रहीं थीं मैडम.. पर बात तो मेरी हुई नहीं? तो क्या हुआ, उसने तो बात की न..बिना बात किये भी बात कर लेती हैं लड़कियाँ ..ओह्ह हाँ..राजेश मुस्कुराया .
हाहा हा..जी, जी..
‘अरे, नहीं, आप सीरियस मत होना प्लीज..मैंने मज़ाक किया था’ – राजेश के जवाब में देरी होने से सफाई दी देवयानी ने.
नहीं..नहीं..जानता हूँ मैं..आपको मज़ाक बहुत पसंद है..
हाँ, बहुत अच्छा लगता मुझे खुश रहना 😃
जी, ये तो सही बात है..मुझे भी
‘मेरा मतलब था अगर आप पास होते तो बात दूसरी होती’ – ऐसा लगा कुछ सोचते हुए लिखा था देवयानी ने
जी मतलब..मैं कुछ समझा नहीं?
अरे, मेरा मतलब है कि तब आपसे लिख-लिख कर बात नहीं करना पड़ती !😃😃
ओह्ह ..हाँ..बिलकुल..हा हा हा
मैं ज़रा आती हूँ दस मिनट में..यहीं रहना..जाना नहीं!
बस, ये सुनते ही लॉग ऑफ किया राजेश ने..इस बार तो हाँ भी नहीं लिखा.
इस बार तो राजेश ये भी भूल गया कि लॉग-इन क्यों की थी.. तब याद आया जब दुबारा पिन्दे का फ़ोन आया..- ‘मेरे राज्जे, देखी, मेरी पसंद?’
ओह्ह..हाँ यार.. भूल गया था..अभी देखता हूँ!
ओ शुट, यार.. राजेश सोचने लगा- क्या सोच रहा होगा पिन्दा भी..सुबह बोला था और मैंने अब तक नहीं देखी..बचपन का दोस्त है..बुरा नहीं मानेगा
लॉग-इन किया तो देखा देवयानी का मैसेज वहाँ पहले से मौजूद था
– कहाँ हो जी?
‘जी, यहीं हूँ..कहीं नहीं गया..’- कहाँ जाउँगा आपके रहते – ये वाला हिस्सा लिखा नहीं, सिर्फ सोचा..क्या यार, समझा करो ..मेरे दूसरे भी काम होते हैं..आते ही बस पकड़ लिया
कहाँ रहते हो आप? – देवयानी ने पूछा
– जोधपुर पार्क..आई मीन कोलकाता
अच्छा जी..
‘और आप ? आई मीन कहाँ से हैं आप?’ – राजेश ने भी पूछ लिया..औपचारिकता में नहीं, वास्तव में जानने के लिये पूछा था उसने
मैं तो आपकी पड़ोसन हूँ
क्या? ..आई मीन कैसे?
जी, हाँ उदयपुर में रहती हूँ..जोधपुर के पड़ोस में
ओह्ह ..अच्छा ..हा हा हा
क्या गजब का सेन्स ऑफ़ ह्यूमर है आपका, ये सिर्फ सोचा, कह नहीं पाया राजेश.
‘क्या करती हैं आप?’ – इस बार राजेश ने पहले पूछा
-हाउसवाइफ हूँ..बस यही करती हूँ
जी..जी..ओह
क्या जी..जी.. आपको तो शॉक लग गया ?
अरे, नहीं वो बस एक कॉल आ रहा है, शायद, फोन पर
– अरे अरे.. जाना नहीं प्लीज़, सुनो ..
जी..जी.. कहिये !
अब कहने को क्या रह गया है – गुस्सा आया राजेश को.. सब ऐसे ही क्यों मिलते हैं मुझे..पहले से बिज़ी हैं तो मैं कोई फ़ालतू हूँ क्या?..पिन्दा सही कह रहा था कि 35 का हो गया है तू..अब तो तेरी शादी किसी शादीशुदा से ही होगी!
– अरे बाबा, मेरा मतलब था कि अपने नए हाउस में रह रही हूँ..पुरानी वाईफ हूँ..लेकिन हस्बैंड से आज़ाद हो चुकी हूँ..इसलिए कहा कि हाउसवाइफ हूँ!
-ये तो बिलकुल ही वियर्ड सेन्स ऑफ़ ह्यूमर है आपका जी – ये भी नहीं बोल पाया राजेश..शायद मेरा ही सेन्स कुछ सर्विसिंग के लायक हो गया है.. उसने सोचा
फिर अचानक उसने गहरी साँस ली..उसका बस चलता तो अपनी राहत की इमोजी भी भेज देता देवयानी को.. ट्यूबलाइट की तरह समझ आई उसको देवयानी की बात ..चार सेकंड बाद
– ओह्ह ..जी जी.. हा हा हा.. आप भी !
– आप भी? क्या मतलब? कितनी हैं आपकी, जो मैं भी?
– ओह्ह नो, आई मीन आपका मजाक बहुत कमाल का था!
‘ हिल तो नहीं गए न .. हा हा हा 😃😃’- दो बड़ी-बड़ी स्माइली फिर भेज दीं उसने.
-पुरानी वाईफ ? हस्बैंड से आज़ाद? ये कैसे, आई मीन ..
– हाँ, पांच साल हुए हमारी शादी को ..वो एक बार कनाडा गया तो फिर वापस नहीं आया
-ओह्ह..आई एम् सॉरी!
– न न सॉरी की बात नहीं..जिन्दा है वो..शादी कर ली है ..मुझे बता दिया था उसने..पेपर्स भी भेज दिये थे ..मैने साइन भी कर दिये
– ओह्ह..सो वैरी ऑनेस्ट ऑफ़ हिम..क्या बात है जी..
– हाँ उसने बोल दिया था कि उसको प्यार हो गया था तो शादी कर ली वहां..उसके ऑफिस में ही काम करती है वो ..अब वापस नहीं आएगा कभी..
– ओह्ह्ह.. -अब तो सॉरी बोलना बनता है मेरा, राजेश ने सोचा पर बोला नहीं. ख़ुशी में भी कोई सॉरी बोलता है क्या..अपने ऊपर हंसी आई उसे.
‘-क्या क्या शौक हैं आपके ?’ – राजेश ने पूछा जैसे विषयांतर करना चाहता हो
-जी..शौक?
– आई मीन क्या पसंद है आपको?
– आपसे बात करना!
ओह..थैंक्स डियर..- निकल गया शायद मुँह से ..और लिख भी गया हाँथ से..वैसे ये वर्ड ‘डियर’ थोड़ा चीप सा लगता है ..और फिर क्या बोलूं..
राजेश को लगा कि अब सतीश की फ़ाइल आज तो चेक नहीं हो पायेगी, कल ही कर दूंगा ऑफिस में..आज मैं काफी बिज़ी हूँ!
– अरे वाह..थैंक यू आपको भी!
– जी..जी..
– हाँ सच में राजेश जी, मुझे इंटेलेक्चुअल लोग बहुत पसंद हैं.
– जी, बहुत खुशी हुई!
– हाँ, पता है मुझे..आपको हुई है मेरी जैसी स्पष्टवादी इंसान से मिल कर
क्या सबसे आप ऐसे ही बात करती हैं? सोचा राजेश ने कि पूछ लूँ. पता नहीं क्यों थोड़ा सेंसिटिव सा हो गया था आज राजेश.
– मुझे फ्रेंड्स बहुत पसंद हैं..फ्रेंड्स से मतलब फीमेल फ्रेंड्स बस
‘ मुझे भी डियर..आई मीन मेल फ्रेंड्स..लेकिन मेरे मित्र कम ही बनते हैं ‘- आज ये सच बोलते समय खुशी हो रही थी राजेश को
– मेरे बहुत बनते हैं..और सब अच्छे लोग ही मिलते हैं मुझे
– देवयानी जी, आप भंडारी हैं और रह रही हैं राजस्थान में?
-हाँ, क्योंकि मेरा नाम देवयानी नहीं है..
‘व्हाट?’ ..चौंक गया राजेश.. – ‘जी ..फिर क्या नाम है आपका ..आई मीन असली वाला?’
– राजश्री चौधरी..मैं बागपत से हूँ..शादी यहीं उदयपुर में हुई थी मेरे सास-ससुर थे नहीं..पति गया तो वापस ही नहीं आया..अब अपना फैमिली बिजिनेस ही देख रही हूँ..
‘ओह्ह्ह !’ अब पहली बार लगा उसे कि वह जिससे बात कर रहा है कोई ऐसी या वैसी महिला नहीं थी. बहुत संजीदा किसम की इंसान थी वह..लेकिन फेक नाम क्यों?
– ओह्ह्ह अच्छा ..देवयानी नाम आपको बहुत पसंद होगा इसलिए रख लिया?
– नहीं.. रिश्तेदारों के तानों से बचने के लिए नए अस्तित्व की तलाश कर रही हूँ..ये नाम अच्छा लगा तो रख लिया फेसबुक पर
-और ये जो पिक है, ज़ाहिर है ये भी आपकी नहीं होगी?
– जी हाँ, जब नाम बदला है तो पिक अपनी ओरिजिनल क्यों लगाती..
-ओह्ह्ह.. – कमाल है यार.. दुनिया ही घूम गई थी राजेश की..अब तो विश्वास ही नहीं रहा किसी का..बोल रहा था राजेश..लेकिन मन में
-रुकिए एक मिनट अपनी पिक भेजती हूँ आपको
– जी जी..थैंक्स
दो मिनट बाद जो पिक आई सामने, राजेश देखता ही रह गया..इतनी सुंदर महिला को भी कोई छोड़ कर जा सकता है?- भाग्य-भाग्य की बात है..शायद, देवयानी..आई मीन राजश्री को भगवान ने मेरे लिए ही बनाया है..
– वेरी ब्यूटीफुल !! – राजेश ने ढेर सारे स्माइली भेज दिए – 😊😊 😊😊 😊😊
‘ मैं एक सच कहे बिना रह नहीं सकता..अगर इजाज़त दो तो कहना चाहूंगा..’ – राजेश की खुशी उसके शब्दों से झांक रही थी
– ‘अरे कहिये न..किस ने रोका है आपको!’
– ‘मुझे ये जानकर बहुत खुशी हुई कि आप भी मुझे पसंद करती हैं..’ ये बात बोल के कहनी पड़ती तो मेरे शब्दों में मेरी शरम भी सुनाई पड़ती उसको
‘ अरे वाह..तो क्या आप भी? थैंक यू जी !’ – इस बार एक दो नहीं, पूरे ग्यारह स्माइली आये राजश्री की तरफ से 😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃
– थैंक्स अ लॉट टु यू टू!
इस बार प्यार वाली स्माइली आई राजश्री की ओर से- 😍
-थैंक यू एक बार फिर से जी😃😃
‘ बस एक रिक्वेस्ट है आपसे ..प्लीज मुझे तुम कहो, आप न कहो प्लीज़ ..😍’ – राजेश की खुशी छुपाये न छुप रही थी ..उसने भी एक प्यार वाली स्माइली भेज दी अपनी ओर से
ओहो, तो आप भी मुझे आप न कहें ..😊
एक शर्मीली स्माइली बहुत भली सी लगी जो राजश्री ने भेजी थी इस बार
अगले हफ्ते जब सत्रह तारीख आई याने कि 17 नवंबर, 2018, तो उस दिन उदयपुर के न्यू भूपालपुरा में स्थित एक सुन्दर से फ्लैट में डाइनिंग टेबल पर बैठा था राजेश और सामने थी राजश्री.
‘शादी के लिए 31st दिसम्बर अच्छी रहेगी न?’ -राजश्री ने चहक कर पूछा
– नहीं फर्स्ट जनवरी – नई ज़िंदगी की शुरुआत नए साल से !
– ओह् नो ..31st दिसम्बर को ही करेंगे..ये साल जा रहा है तो क्या ..मेरी ज़िन्दगी में तो आ रहा है न!
– क्या मतलब ?..आई मीन ठीक है.. 31st दिसम्बर बढ़िया है.. लेकिन कोई ख़ास वजह?
– हाँ ये मेरी ज़िंदगी का सबसे प्यारा साल है ..इसको कैसे जाने दूँ..इसने ही तो मुझे दिया है मेरा हमसफ़र मेरा हस्बैंड मेरा राजेश !
– ओह्ह्ह..सच कहा तुमने राजश्री..मुझे भी तो तुम मिली हो!
राजेश के लिए भी तो उसकी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत साल था 2018.
तभी उसके फ़ोन की घंटी बजी. उस तरफ था पिन्दा – ’31st दिसम्बर रखी है मैंने अपनी शादी की डेट..मेरी पसंद देखनी हो तो फेसबुक खोल..और इनबॉक्स देख !’- इस बार पिन्दे को बोलने का मौका ही नहीं दिया राजेश ने
राजश्री और राजेश दोनों के होंठों पर हंसी भी थी और खुशी भी ..
बहुत सुन्दर लग रही थी राजश्री..घुटनों के बल बैठ कर राजेश ने अपनी प्रिंसेस के दोनों हाथ चूमे और राजश्री ने मुस्कुराते हुए सुना, राजेश के लरजते होंठ कह रहे थे –
– मैं आज बहुत खुश हूं.. थैंक्स राजश्री!..थैंक गॉड!..थैंक्स फेसबुक !!